नई दिल्ली: देश में एक ही चुनाव कराने को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्र ने ‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर एक समिति का गठन किया है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.
यह समिति इस मुद्दे पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इसके बाद ही यह तय होगा कि आने वाले समय में क्या सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी कराएगी या नहीं.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. सूत्रों के अनुसार सरकार इस दौरान एक देश एक चुनाव को लेकर बिल भी ला सकती है.
इसे लागू करने में आएगी ये चुनौतियां
- सूत्रों के अनुसार ‘एक देश एक चुनाव’ को लागू करने से केंद्र में बैठी सरकार के दल को फायदा संभव है. ऐसा हुआ तो जिस दल की केंद्र में सरकार है वो ही अन्य राज्यों में भी सरकार बना सकती है. इस परंपरा के शुरू होने से छोटे दलों को हो सकता है नुकसान.
- साथ ही इसके लागू होने के बाद चुनावी नतीजों में हो सकती है देरी. सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर जाए तो ऐसे में क्या किया जाएगा. सूत्रों का मानना है कि इसके लागू होने से संवैधानिक, राजनीतिक, ढांचागत चुनौतियां बढ़ेंगी. साथ ही साथ विधानसभा, लोकसभा का एक दिन का कार्यकाल बढ़ाने पर संवैधानिक संशोधन जरूरी होगा.
- राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल भंग होने पर संवैधानिक व्यवस्था करने का सवाल. विधानसभा का कार्यकाल घटाने या बढ़ाने पर सर्वसम्मति कैसे बना पाएगी सरकार, ये भी एक बड़ा सवाल है. सरकार को संवैधानिक संशोधन को पहले लोकसभा और बाद में राज्यसभा से पारित कराना होगा. इसे लागू कराने के लिए केंद्र सरकार को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से इस प्रस्ताव को अनुमोदित कराना होगा.