नई दिल्ली. दुनियभर में केला की खेती पर संकटा मंडरा रहा है. केला की परंपरागत प्रजातियां गायब हो रही हैं, ऐसे में केला को बचाने और इसके संरक्षण के लिए केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में राष्ट्रीय केला मेला, 2018 का आयोजन शनिवार से शुरू हुआ. 21 फरवरी तक चलने वाले इस National Banana Festival, 2018 का उद्घाटन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने किया.
केला उन पांच चीजों में शामिल है जो रोजाना के भोजन में सबसे आमतौर पर इस्तेमाल होती हैं. दुनिया के 120 देशों में इसका उत्पादन होता है. सालाना लगभग 10 करोड़ टन केला पैदा किया जाता है. लेकिन जिस तेजी से मौजूदा बीमारियां विकसित हो रही हैं, ऐसा हो सकता है कि आने वाले 5 से 10 साल में पूरा केला उद्योग ही खात्मे के कगार पर पहुंच जाए. इसका असर सिर्फ लोगों के भोजन पर नहीं होगा बल्कि करोड़ों छोटे और मझले किसानों की जिंदगी बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएगी. साथ ही केला उद्योग से जुड़े करोड़ों लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा. ऐसे में भारत सरकार केला को बचाने के के लिए गंभीर प्रयास कर रही है.
राष्ट्रीय केला मेला, 2018 को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि केला उष्ण कटिबंधीय विकसित देशों में लाखों लोगों के लिए व्यापक फाइबर युक्त खाद्य फसल है जिसकी खेती लगभग चार हजार वर्ष पुरानी यानि 2020 बीसी से की जा रही है.
केले का मूल उत्पादन स्थल भारत है और भारत के उष्ण कटिबंधीय उप कटिबंधीय और तटीय क्षेत्रों में व्यापक पैमाने में इसकी खेती की जाती है. हाल के वर्षों में घरेलू खाद्य पदार्थ, पौष्टिक खाद्य पदार्थ और विश्व के कई भागों में सामाजिक सुरक्षा के रूप में केले का महत्व निरन्तर बढ़ रहा है. भारत में पिछले 2 दशकों में बुआई क्षेत्र, उत्पादन और उत्पादकता की दृष्टि से केले की खेती में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है.
केला उत्पादन में भारत है नंबर वन :
आज विश्व के 130 देशों में 5.00 मिलियन हेक्टेयर में केला उगाया जाता है जिसमें केले का 103.63 मिलियन टन उत्पादन होता है. भारत, विश्व में केले का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला देश है, भारत में 0.88 मिलियन हेक्टेयर में 29.7 मिलियन टन केले का उत्पादन होता है. भारत में केले की उत्पादकता 37 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है. यद्यपि भारत में केले की खेती विश्व की तुलना में 15.5 प्रतिशत क्षेत्र में की जाती है परन्तु भारत में केले का उत्पादन विश्व की तुलना में 25.58. प्रतिशत होता है. इस प्रकार केला एक महत्वपूर्ण फसल के रूप में उभर रहा है.
केला आम उपभोक्ता की पहुंच में है. यह भी उल्लेखनीय है कि केले की मांग लगातार बढ़ रही है. केले की घरेलू मांग वर्ष 2050 तक बढ़कर 60 मिलियन टन हो जाएगी. केले एवं इसके उत्पादों की निर्यात की पर्याप्त गुंजाइश है जिससे केले की और मांग बढ़ सकती है.
विश्व का केला उत्पादन अफ्रीका, एशिया, कैरिबियन और लैटिन अमेरिका में केन्द्रित है जो वहां की जलवायु की स्थितियों के कारण है. केले की पौष्टिकता, काफी अधिक लाभ तथा इसकी निर्यात क्षमता के संबंध में बढ़ती जागरूकता के कारण केले की खेती के क्षेत्र में निरंतर वृद्धि हो रही है. पूरे देश में केले की खेती करने वाले किसानों को 3.5 वर्षों के दौरान वर्तमान सरकार में एकीकृत बागवानी विकास मिशन स्कीम के कारण काफी लाभ प्राप्त हुआ है.