मंडी. अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इस बार हिमाचली कलाकारों को प्रोत्साहन देने के दावे किए किए जा रहे हैं. वहीं पर शिवरात्रि में पहली बार मंडी विशेष संध्या का आयोजन किया जा रहा है. इसके बावजूद स्थानीय कलाकारों को बार-बार ऑडिशन की अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है. जबकि बाहरी कलाकारों के लिए ऐसे कोई मानक तय नहीं है. यहां तक कि लाखों रुपए लेने वाले इन कलाकारों का कार्यक्रम फ्लॉप भी रहे तो इसके लिए किसी की जिम्मेदारी तय नहीं है.
ऑडिशन का कोई पैमाना नहीं
आजकल मंडी शिवरात्रि महोत्सव की सांस्कृतिक संध्याओं के लिए स्थानीय कलाकारों का उपमंडल वाइज ऑडिशन चल रहे हैं, हैरानी की बात तो यह है कि जिन कलाकारों ने पिछले साल ऑडिशन पास कर लिया है, उन्हें भी ऑडिशन देना पड़ रहा है. जबकि होना तो यह चाहिए था कि एक बार आडिशन लेकर कलाकारों की ग्रेडिंग करके ए और बी ग्रेड वालों को ऑडिशन की छूट दी जानी चाहिए, क्योंकि जिला के दूर दराज के क्षेत्रों करसोग, जंजैहली, बालीचौकी, लडभड़ोल, जोगिंद्रनगर और चौहारघाटी आदि दूर दराज के क्षेत्रों से आने वाले कलाकारों को अपना किराया खर्च कर ऑडिशन देने के लिए मंडी में आना पड़ता है. अगर ऑडिशन में पास हुए तब तो उनका आना सार्थक हो जाता है. अगर नहीं तो समय और पैसे की बर्बादी होती है.
मंडी शिवरात्रि के बाद जिला में उपमंडल स्तर पर कई राज्य और जिला स्तरीय मेलों का आयोजन होता है. लेकिन हर मेला कमेटी द्वारा अलग-अलग आडिशन लिए जाते हैं. जबकि होना तो यह चाहिए कि अगर अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि के लिए जिस कलाकार ने आडिशन पास कर लिया है. उसे कम से कम एक साल के लिए जिला भर में होने वाले मेलों में ऑडिशन से मुक्त कर दिया जाए.
कई बार तो स्थिति ऐसी आ जाती है कि जिस कलाकार द्वारा शिवरात्रि मेला का ऑडिशन पास कर लिया होता है. वह उपमंडल स्तर पर बाहर कर दिया जाता है. जबकि बाहर से आने वाले कलाकारों को मंडी शिवरात्रि के अलावा सुंदरनगर नलवाड़ और जिला के अन्य मेलों के लिए भी बुक कर लिया जाता है. कहने को मेला कमेटी स्थानीय और लोक कलाकारों को प्रोत्साहन देने की बात तो करती है. मगर व्यवहारिकता में स्थानीय कलाकारों को प्रशासन की बेरूखी का शिकार होना पड़ता है.