आज मोदी कैबिनेट का विस्तार हो रहा है. यह मोदी मंत्रिमंडल का तीसरा विस्तार है. सभी नये मंत्रियों ने रविवार की सुबह पद और गोपनियता की शपथ ली.
मोदी सरकार के नए 9 मंत्रियों में चार पूर्व सरकारी अधिकारी रह चुके हैंं. जबकि जदयू, शिवसेना के किसी नेता को कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है. शनिवार शाम को नीतीश कुमार ने पटना में दावा किया कि इस मुद्दे पर बीजेपी और उनकी पार्टी में कोई बातचीत नहीं हुई है. शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी कहा कि उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है. अन्नाद्रमुक के अंदरूनी कलह की वजह से वहां से किसी नेता का नाम तय नहीं किया जा सका.
बिहार और उत्तर प्रदेश से दो-दो नए चेहरों को शामिल किया गया है.
मुंबई के पूर्व कमिश्नर और बागपत से बीजेपी सांसद सत्यपाल को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. एक और नया नाम शिवप्रताप शुक्ल का भी है. शिव प्रताप शुक्ल उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं. शुक्ला 1989 से 1996 तक लगातार चार बार विधायक रहे और यूपी सरकार में आठ साल तक कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं.
अश्विनी कुमार चौबे बिहार के बक्सर से लोकसभा सांसद हैं. वह केंद्रीय सिल्क बोर्ड के मेंबर भी हैं. अश्विनी कुमार चौबे ने बिहार में लगातार 5 बार विधायक का चुनाव जीता है. वे बिहार में स्वास्थ्य, शहरी विकास और जनस्वास्थ्य, इंजिनियरिंग विभाग के मंत्री रह चुकेो हैं.
वीरेंद्र कुमार मध्य प्रदेश के टिकमगढ़ से लोकसभा सांसद हैं. वीरेंद्र 6 बार से लोकसभा सांसद हैं. वे दलित समुदाय से आते हैं.
अनंत कुमार हेगड़े कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ से सांसद हैं. वह विदेश और मानव संसाधन मामलों पर बनी संसदीय समिति के सदस्य भी हैं. हेगड़े पहली बार 28 साल की उम्र में सांसद बने थे. वे करीब 25 साल संसद में बिताने का अनुभव रखते हैं.
राज कुमार सिंह बिहार के आरा से लोकसभा सांसद हैं. वह बिहार कैडर के 1975 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. राज कुमार सिंह भारत के गृह सचिव के पद पर भी रह चुके हैं.
हरदीप सिंह पुरी रिसर्च एंड इंफोर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज (आरआईएस) के अध्यक्ष हैं. वह 1974 बैच के पूर्व आईएफएस ऑफिसर हैं. उन्हें विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा में उनके अनुभव के लिए जाना जाता है.
गजेंद्र सिंह शेखाबत राजस्थान के जोधपुर से लोकसभा सांसद हैं. वह वित्तीय मामलों पर बनी संसदीय समिति के प्रमुख भी हैं.
अलफोंज कन्ननथन को डिमॉलिशन मैन के नाम से जाना जाता है. वे केरल कैडर के 1979 बैच के आईएएस ऑफिसर रह चुके हैं. वह डीडीए के कमीशनर भी रह चुके हैं. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने दिल्ली के 15,000 अवैध इमारतों को ढ़हाने का आदेश दिया था.