नई दिल्ली: भारत सहित दुनिया के कई देशों में जिस रफ्तार से कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है उसने अब स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता बढ़ा दी है. हाल ही में भारत में बढ़ते संक्रमण के मामलों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जाहिर करते हुए सभी को सावधान रहने की सलाह दी है. जारी महामारी की रिपोर्ट में संक्रमण और इसके कारण बढ़ते मौत के आंकड़ों पर रोकथाम के लिए सख्ती से कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवयर का पालन करने की सलाह दी गई है.
साप्ताहिक महामारी संबंधी रिपोर्ट के अनुसार, 27 फरवरी से 26 मार्च 2023 तक लगभग 3.6 मिलियन नए मामले रिपोर्ट हुए हैं और 25000 से अधिक मौतें दर्ज की गईं. डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 मामलों की टेक्निकल लीड डॉ मारिया वान केरखोव कहती हैं, 22 देशों से कोरोना के 800 से अधिक सीक्वेंस मिले हैं, इनमें से सबसे अधिक भारत से हैं. कोरोना के बढ़ते आंकड़े चिंताजनक हैं.
कोविड वैरिएंट XBB 1.16 है प्रमुख कारण
डॉ मारिया कहती हैं, इस समय कोरोना के XBB 1.16 वैरिएंट को ही बढ़ते मामलों का प्रमुख कारण माना जा रहा है. इस वैरिएंट ने भारत में अन्य सब-वैरिएंट्स को रिप्लेस कर दिया है. प्रयोगशाला अध्ययनों के अनुसार, एक्सबीबी 1.16 ने संक्रामकता में वृद्धि के साथ-साथ संभावित रूप से बढ़ी हुई रोगजनकता के संकेत भी दिए हैं. भारत ने पिछले कुछ महीनों में सबसे अधिक कोविड मामलों की सूचना दी है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने एडवाइजरी जारी कर देश में टेस्टिंग और सर्विलांस बढ़ा दिया है.
मृत्यु का भी बढ़ रहा है खतरा
वैज्ञानिकों की टीम ने पाया है कि अभी तक कोविड लक्षणों के पैटर्न या प्रकार में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है. कोरोना वायरस के पिछले वैरिएंट्स में जिस तरह के लक्षण दिख रहे थे, उसी तरह के लक्षण इस बार के संक्रमण में भी देखे जा रहे हैं. ज्यादातर संक्रमितों में बुखार, खांसी, गले में खराश, नाक बहने, कुछ मामलों में थकान, मांसपेशियों में दर्द और पेट की समस्याएं हो सकती हैं, पर ये गंभीर रोग का कारण नहीं बन रहे हैं. गंभीरता का जोखिम कुछ स्थितियों में हो सकता है.
ऐसे लोगों में गंभीर रोग-मृत्य का खतरा
महामारी रिपोर्ट के मुताबिक वैसे तो कोरोना संक्रमित होने वाले अधिकतर लोग आसानी से ठीक हो जा रहे हैं पर जिन लोगों को कोमोरबिडिटी है, इम्युनिटी सिस्टम कमजोर है या फिर जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है ऐसे लोगों में यह गंभीर रोग का कारण जरूर बन सकता है. रोग की स्थिति बिगड़ने पर आईसीयू में भर्ती होने और मौत का भी जोखिम हो सकता है.