बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार ने विश्वास मत हासिल कर लिया है. नीतीश कुमार को सदन में कुल 131 वोट मिले जबकि विपक्ष में 108 वोट मिले. इससे पहले जब नीतीश ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा किया था तो उन्होंने 132 विधायकों के समर्थन प्राप्त होने का दावा किया था. नीतीश कुमार द्वारा राज्यपाल को सौपें गए समर्थन पत्र में जेडीयू के 71, भाजपा के 53, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के 2, एलजेपी के 2, जीतनराम माझी की पार्टी हम के 1 तथा 3 निर्दलीय विधायक शामिल है.
122 था बहुमत का आंकड़ा
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं. जिसमे सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 122 है. नीतीश कुमार पहले ही 132 विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौप चुके हैं. ऐसे में बहुत कम आसार थे कि उन्हे विश्वास मत पारित कराने में किसी तरह की चुनौती का सामना करने पड़े.
आरजेडी व कांग्रेस का हंगामा
जहाँ एक ओर नीतीश बहुमत साबित कर रहे थे. वहीं दूसरी ओर नीतीश से नाराज़ आरजेडी और कांग्रेस, विधानसभा के अंदर और बाहर ज़बरदस्त हंगामा कर रहे हैं. वे नीतीश कुमार के खिलाफ़ नारेबाज़ी कर रहे हैं. उनका कहना है कि नीतीश कुमार ने उनके और बिहार की जनता के साथ धोखा किया है.
विपक्ष के नेता बने तेजस्वी यादव
नीतीश कुमार के विश्वास मत पेश करने के साथ ही राजद ने तेजस्वी यादव को सदन में विपक्ष का नेता घोषित कर दिया है. इसके बाद तेजस्वी ने विधानसभा में नीतीश कुमार पर तीख़े वार किए. उन्होंने कहा कि “नीतीश मेरे आत्मविश्वास से डर गए हैं. हिम्मत थी तो मुझे बर्खास्त करके दिखाते. इसके अलावा उन्होंने कहा कि नीतीश के इस कदम के पीछे, कौन सी विचार -धारा और नैतिकता है इसे दुनिया जानना चाहती है.
छह महीने के प्लान के बाद ऐसा किया गया. तेजस्वी ने कहा कि आरजेडी और कांग्रेस ने नीतीश कुमार का वजूद बचाया. नीतीश की छवि बनाने के लिए सारा नाटक हुआ. उन्होंने कहा, ‘छवि की बात है तो पूरा देश जानता है कि नीतीश जी का कितना आधार है.
तेजस्वी ने लालू के पुत्र मोह वाली बात का जवाब देते हुए कहा कि लालू, नीतीश कुमार को भाई मानते हैं इसलिए उन्होंने भ्रात मोह के चलते उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था.