नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने किफायती घर खरीदने वालों को बड़ी राहत की घोषणा की है. सरकार ने बिल्डरों को किफायती मकान खरीदारों से जीएसटी वसूलने से मना कर दिया है. फिलहाल सभी सस्ती आवासीय परियोजनाओं पर 8 प्रतिशत जीएसटी देना होता है. वित्त मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि सस्ते खंड में आने वाली सभी आवासीय परियोजनाओं पर 8 प्रतिशत जीएसटी लगेगा. जिससे बिल्डर या डेवलपर को फ्लैट आदि की निर्माण सेवा पर नकद जीएसटी देने की जरूरत नहीं होगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने बिल्डरों को निर्देश दिया है कि किफायती और सस्ते मकान खरीदारों से जीएसटी न वसूला जाए. सभी सस्ती आवासीय परियोजनाओं पर प्रभावी जीएसटी दर 8 प्रतिशत है. इसे ‘इनपुट क्रेडिट’ के जरिये समायोजित किया जा सकता है. बिल्डर अगर कच्चे माल पर क्रेडिट दावा को शामिल करने के बाद मकान के दाम घटाते हैं, तभी वह सस्ते आवास वाली परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने वालों से जीएसटी वसूल सकते हैं.
जीएसटी काउंसिल की आखिरी बैठक बीते 18 जनवरी को हुई थी. इसमें ‘क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी’ योजना (CLSS) के तहत मकानों के निर्माण के लिये रियायती दर से 12 फीसदी जीएसटी लगाने पर चर्चा की गई. मकसद साफ है कि सस्ते मकानों को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिसे 2017-18 के बजट में बुनियादी ढांचा का दर्जा दिया गया है. हालांकि मकान, फ्लैट के लिए ली जाने वाली रकम में से तिहाई जमीन की लागत घटाने से प्रभावी जीएसटी दर 8 फीसदी पर आ गई है. यह प्रावधान 25 जनवरी से प्रभाव में आ गया है.
फ्लैट, घर (एकल) आदि के निर्माण के लिए इस्तेमाल सभी कच्चा माल तथा पूंजीगत सामान पर जीएसटी 18 प्रतिशत या 28 प्रतिशत लगता है. इसके उलट सस्ते खंड में आने वाली सभी आवासीय परियोजनाओं पर 8 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाएगा. अब बिल्डर या डेवलपर को फ्लैट आदि की निर्माण सेवा पर नकद जीएसटी देने की जरूरत नहीं होगी लेकिन उनके पास पर्याप्त ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ होगा, मूल्य वर्द्धन पर जीएसटी देना होगा. मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि बिल्डरों को खरीदारों से फ्लैट पर कोई जीएसटी नहीं वसूलना चाहिए.