मंडी (सुंदरनगर). हाइकोर्ट व सुंदरनगर न्यायालय के आदेशों के बावजूद सुंदरनगर प्रशासन द्वारा बीएसएल नहर के नजदीक हादसे रोकने के ठोस सुरक्षा उपाय नहीं किये जा रहे हैं। जिसके चलते रोज दुर्घटनायें घट रही है।
मालूम हो कि साल 1977 में शुरू हुई 990 मेगावाट ब्यास लिंक परियोजना 37 किलोमीटर लम्बी जल संवाहक प्रणाली से जुडी है। इसका 11.80 किलोमीटर हिस्सा सुंदरनगर चैनल और इसके साथ लगती बैलेंसिंग रिजर्वायर का खुला क्षेत्र है। इसमें आत्महत्या, हत्या की दुर्घटनायें लगातार हो रही है लेकिन जनता की बार-बार मांग के बावजूद प्रशासन, बीबीएमबी प्रबन्धन और सरकार पुख्ता सुरक्षा प्रबन्धों की और कोई ध्यान नहीं दे रही है।
हाल ही में अधिवक्ता राम कृष्ण द्वारा सुंदरनगर न्यायालय व इससे पूर्व लक्षमेंदर गुलेरिया द्वारा हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. जिस पर कोर्ट ने सुरक्षा इंतजाम करने के आदेश दिए गए थे लेकिन इस आदेश के बाववजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रबन्ध नही किये गये।
खानापूर्ति के लिए बीबीएमबी द्वारा मात्र नहर किनारे मिट्टी के ढेर लगा दिए गए हैं। वहीं नहर किनारे जो चंद पुराने पैरापीट लगे है वो भी जर्जर हालात में है। उनकी ऊंचाई कम होने के चलते अब बीबीएमबी द्वारा उन्हें भी मिट्टी के ढेर लगा ऊंचा किया जा रहा है। क्षेत्र में अनेकों ऐसी जगहें है जो दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं।