मंडी. नेताओं ने शहीद स्मारक बनाने का वादा किया था. दो वर्ष बीत जाने के बाद भी शहीद स्मारक का कोई अता-पता नहीं है. अब यह मुद्दा चुनावों के दौरान प्रमुखता से उठने के संकेत मिल रहे हैं. आइये जानते हैं- क्या है पूरा मामला?
वैसे तो नेता यह कहते नहीं थकते कि शहीदों के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. लेकिन इस पर राजनीति करने से कभी पीछे नहीं हटते. इसका जीता-जागता उदाहरण मंडी ज़िले में देखने को मिलता है. दो साल पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने मंडी जिले में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए 50 लाख रूपए देने का ऐलान किया था. हैरानी की बात है कि अभी तक प्रशासन न तो शहीद स्मारक के लिए जमीन का चयन कर पाया है और न ही स्मारक के निर्माण की कोई रूपरेखा तय करके केंद्र सरकार को भेज सका है.
मंडी जिले में 50 लाख से बनने वाले शहीद स्मारक को लेकर जिले के तीनों मंत्रियों में भी ठन गई थी. सभी मंत्री इसे अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में स्थापित करवाना चाहते थे, लेकिन ऐसा भी नहीं हो सका. सांसद राम स्वरूप शर्मा ने इसके लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. राम स्वरूप शर्मा का कहना है कि इस बारे में कई बार सरकार और प्रशासन के साथ बात करने के बाद भी काम के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है.
एक तरफ शहीद स्मारक के निर्माण पर राजनीति होती रही तो दूसरी तरफ शहर में मौजूद कारगिल पार्क भी अपनी बदहाली पर आंसू बहाता गया. आज आलम यह है कि कारगिल पार्क भी अपनी मरम्मत की राह ताक रहा है. टाइल्स टूट रही हैं, लाईटों का कोई प्रबंध नहीं और फ़व्वारों ने तो जैसे बरसना ही छोड़ दिया है. स्थानीय लोगों ने शहीदों के नाम पर हो रही अनदेखी पर नाराजगी जाहिर की है.
प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में शहीद स्मारक के निर्माण का मुद्दा भी प्रमुखता से उठने वाला है. क्योंकि सांसद महोदय इस बात को कह चुके हैं कि यह स्मारक भाजपा सरकार के आने के बाद ही बनेगा. लगता है कि इस स्मारक के नाम पर अब राजनीति खूब गर्माने वाली है. लेकिन ये शहीद स्मारक कब बनेगा कहना मुश्किल है.