शिमला. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में आयोजित 12वें द्विवार्षिक राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य के किसानों और बागवानों को लाभान्वित करने के लिए विश्वविद्यालयों और विभिन्न संस्थाओं की प्रयोगशालाओं में किए गए अनुसंधान को खेतों में स्थानांतरित किया जाए.
प्रदेश के लगभग 1.71 लाख से अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के किसान मेहनती और परिश्रमी हैं और नई तकनीकें अपनाने में देश के अन्य राज्यों से आगे हैं. उन्होंने राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और गुजरात के वर्तमान राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्रयासों की सराहना की.
उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग बहुत हानिकारक है. वर्तमान सरकार ने सत्ता सम्भालने के तीन महीनों के भीतर ही किसानों के दीर्घकालीन कल्याण के लिए प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना आरम्भ की और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 25 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया और वर्तमान में प्रदेश के लगभग 1.71 लाख से अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है.
15 वर्षों में राज्य को एक प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने की दिशा में अग्रसर
उन्होंने कहा कि हम हिमाचल प्रदेश को कृषि क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से रसायन मुक्त बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं और आने वाले 15 वर्षों में राज्य को एक प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने की दिशा में अग्रसर हैं
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र सम्मेलन
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र सम्मेलन प्राकृतिक खेती और अन्य सतत् कृषि तकनीक विषय पर आधारित दो दिवसीय सम्मेलन है जिसमें देशभर से 731 कृषि विज्ञान केन्द्र और विभिन्न राज्यों के 1000 से अधिक वैज्ञानिक और किसान भाग ले रहे हैं.