नई दिल्ली. चुनावी मौसम में नाराज हुए नेता पार्टियों के लिए हमेशा से चुनौती बनते रहे हैं. हिमाचल चुनाव में भी टिकट न मिलने और अन्य कारणों से बागी हुए नेताओं-कार्यकर्ताओं ने भाजपा और कांग्रेस को नाकों चने चबवा दिए थे. गुजरात में इसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए पार्टियों ने अलग से रणनीति बनाई है.
तैयारी जारी मगर प्रत्याशी घोषित नहीं
गुजरात विधानसभा चुनाव को भाजपा की नाक की लड़ाई माना जा रहा है तो कांग्रेस ने भी यहां पूरी ताकत झोंक दी है. दोनों ही पार्टियों के वरिष्ठ नेता लगातार गुजरात दौरे पर हैं और दोनों तरफ से विपक्षियों पर तीखे हमले जारी हैं. पार्टी नेता और संभावित प्रत्याशी अपने क्षेत्रों में जनसंपर्क अभियानों में लगे तो हुए हैं मगर ऊहापोह की स्थिति बरकरार है. क्योंकि पार्टियों ने अब तक टिकट फाइनल नहीं किए हैं.
14 से पहले चरण का नामांकन
89 सीटों के लिए पहले चरण का नामांकन 14 नवंबर से शुरू हो जाएगा. कांग्रेस की तरफ से टिकट की घोषणा की तिथि 16 नवंबर बताई गई है जबकि भाजपा 15 को प्रत्याशियों की घोषणा करेगी.
बागियों को तैयारी का मौका नहीं देने की रणनीति
देर से टिकट की घोषणा करने के पीछे दोनों ही पार्टियों की बागियों से निपटने की रणनीति है. दोनों पार्टियां बागियों को तैयारी करने का मौका नहीं देना चाहतीं. कि वह कोई दूसरी पार्टी से जुड़े या निर्दलीय नामांकन करें. पार्टियों की तरफ से पहले ही चेतावनी भी जारी की जा चुकी है.