किन्नौर. ‘लाउड स्पीकर’ एक ऐसा यंत्र जो जो बड़ी से बड़ी और भीड़भाड़ वाली जगह में भी खड़े आखिरी आदमी तक आपकी बात पहुंचा दे. हिमाचल की चुनावी सभाओं में इनका इस्तेमाल आज भी हो रहा है. हां, सभास्थल तक नहीं पहुंच पाने वालों तक पहुंचने के लिए भी एक ‘प्राइवेट लाउड स्पीकर’ की मदद ली जा रही है, जिसे रोजमर्रा की जिंदगी में हम व्हाट्सएप के नाम से जानते हैं.
पहाड़ी इलाकों में भीड़ जुटाना मुश्किल
किन्नौर पहुंचे हमारे संवाददाता कुमार गौरव ने जो पाया वो कमोबेश हिमाचल के ज्यादातर इलाकों का हाल है. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां सभाओं में भारी भीड़ जुटा पाना हर बार संभव नहीं हो पाता. ऐसे में राजनीतिक दलों के उम्मीदवार अपनी बात को जल्द-से-जल्द पूरे विधानसभा में पहुंचाने के लिये व्हाट्सएप का प्रयोग कर रहे हैं. उम्मीदवार जनता से छोटी-छोटी नुक्कड़ सभा के द्वारा रूबरू हो रहे हैं. और नेताओं के भाषणों को पार्टी के विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर कर दिया जाता है. जहां से संदेश के फारवर्ड होने का सिलसिला शुरू हो जाता है.
अनजाने नंबरों से भी राजनीतिक संदेश
अमूमन सोशल मीडिया को व्यक्तिगत कार्यों के लिए इस्तेमाल करने वाले लोगों को भी थोक के भाव राजनीतिक संदेश मिल रहे हैं. कई बार यह संदेश उन्हें अनजान नंबरों से भी आते हैं.
लोक निर्माण विभाग से रिटायर्ड कल्पा नेगी व्हाट्सएप से पुराने सहकर्मियों और रिश्तेदारों से बातचीत करती हैं. कुछ महीने पहले तक उन्हें व्हाट्सएप पर ज्यादातर देवी-देवतओं के संदेश मिलते थे. लेकिन चुनावी मौसम में उन्हें वोट करने की अपील और नेताओं के भाषणों के वीडियो मिल रहे हैं.
अपना प्रचार, दूसरों पर वार
कार्यकर्ता और समर्थक व्हाट्सएप का इस्तेमाल अपनी पार्टी का प्रचार करने के साथ ही विपक्षियों पर वार करने में भी बखूबी कर रहे हैं. संदेशों में पार्टी के पोस्टर, नेताओं के भाषण, नारों के साथ-साथ राजनेताओं पर बने चुटकुले भी शामिल हैं.
भाजपा की आईटी सेल के सदस्य कमल वर्मा कहते हैं कि ‘पार्टी के द्वारा विभिन्न स्तरों पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाये गये हैं. आम लोगों को जोड़ने के लिये पार्टी कार्यकर्ता अपने स्तर पर भी ग्रुप बनाकर भाजपा के एजेंडे से लोगों को अवगत करवा रहे हैं. हालांकि यह पार्टी का अधिकारिक ग्रुप नहीं होता है.
मीडिया के लिए भी आसानी
पत्रकारों तक सूचना पहुंचाने के लिये भी पार्टियों ने ग्रुप बना रखे हैं. रिकांगपियो के स्थानीय पत्रकार रिपन शर्मा कहते हैं कि व्हाट्सएप के आने से उन्हें सभी जानकारी तुरंत मिल जाती है. हालांकि वे व्हाट्सएप संदेशाें की सत्यता को 50-50 मानते हैं. कहते हैं, ‘व्हाट्सएप पर आने वाली सूचनाओं को संबंधित पार्टी के प्रवक्ता के वेरिफिकेशन के बाद ही उन्हें आगे बढ़ाते हैं.’