बिलासपुर. उप निदेशक कृृषि विभाग डॉ. एस पंथ ने रविवार को जानकारी देते हुए बताया कि मौसम की अनुकूलता के मद्देनजर गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग फैलने की संभावना बढ़ गई है. क्योंकि तापमान में उतार-चढ़ाव इस रोग के फैलने हेतु अनुकूल होता है.
उन्होंने बताया कि जिस गेहूं की बिजाई अक्टूबर-नवंबर व दिसम्बर महीने के पहले हफ्ते में की गई है. उसमें इस रोग के फैलने की ज्यादा संभावना है, रोग का प्रकोप अधिक ठंड और नमी वाले मौसम में उग्र होता है. पीला रतुआ रोग के लक्षण पीले रंग की धारियों के रूप मे पत्त्तियों पर दिखाई देते हैं. यदि यह रोग कल्ले निकलने की अवस्था में या इससे पहले आ जाए तो फसल को भारी हानि होती है. पीली धारियां मुख्यतः पत्त्तियों पर ही पाई जाती है परंतु रोग के अधिक प्रकोप की व्यापक दषा में पत्त्तियों के आवरण व तनों पर भी देखी जा सकती हैं.
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उन्होंने बताया कि जिला के निचले क्षेत्र स्वारघाट खंड के बैहल,डोभा,बस्सी, गुरू का लाहौर, मजारी, जकातखाना झंडूता खंड के बरठीं, भगतपुर, न्घयार और घुमारवीं खंड के हटवाड़, बम्म व पंतेहड़ा व सदर खंड के दयोथ, जुखाला, छकोह, धार टटोह, पंजगाई, दयोली व बरमाणा में इस रोग के फैलने की संभावना है. इसके लिए किसान जागरूक रहें तथा कहीं भी इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रोपीकोनाजोल (टिल्ट) 1मी.ली. दवाई का 1ली. पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.
दवाई कृषि विभाग के सभी विक्रय केंद्रों पर उपलब्ध है
उन्होंने बताया कि यह दवाई कृषि विभाग के सभी विक्रय केंद्रों पर उपलब्ध है. अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि विषयवाद विषेषज्ञ, कृषि विकास अधिकारी और कृषि प्रसार अधिकारी से संपर्क करें.