शिमला. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि पौधारोपण के साथ उसकी जीवंतता को सुनिश्चित बनाना अधिक आवश्यक है. उन्होंने कहा कि पौधा लगाने के बाद उसका जीवित न रहना भ्रूण हत्या के समान है. इसलिए, यह हम सबका नैतिक कर्त्तव्य है कि उसकी जीवंतता को सुनिश्चित बनाया जाए.
राज्यपाल वन विभाग तथा राज्य रेडक्रॉस के सहयोग से शिमला के निकट मशोबरा स्थित भागी जुब्बड़ में आयोजित 68वें वन महोत्सव के शुभारम्भ अवसर पर बोल रहे थे. राज्यपाल ने स्कूली बच्चों के साथ पौधारोपण किया. इस मौके पर लेडी गवर्नर दर्शना देवी भी उपस्थित थी. उन्होंने भी देवदार का पौधा रोपा.
राज्यपाल ने प्रदेश के हरित आवरण को बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि “पौधारोपण सुखद भविष्य का आधार है. पांच तत्वों से बने इस शरीर को वायु के रूप में ऑक्सीजन हमें पेड़ों से मिलती है. इसलिए ये जीवनदायी कहलाते हैं. लेकिन, जिस तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है और पेड़ कट रहे हैं वह चिंता का विषय है. ओज़ोन की परत कमजोर हो रही है और अल्ट्रावायलेट किरणें नुकसान पहुंचा रही हैं. ग्लेशियर पिघल रहे हैं और वैज्ञानिक समय-समय पर इसके लिए आगाह कर रहे हैं. मानव भौतिक सुख की चाह में पर्यावरण को पीछे छोड़ता जा रहा है.”
आचार्य देवव्रत ने प्रदेश के तेजी से बढ़ते हरित आवरण पर प्रसन्नता व्यक्त की. उन्होंने इस तरह के अधिक कार्यक्रम आयोजित करने पर बल देते हुए कहा कि इस अभियान से स्कूली बच्चों को जोड़ना चाहिए और उन्हें इसके महत्व को भी बताया जाना चाहिए. उन्होंने राज्य रेडक्रॉस तथा वन विभाग द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की. इसके साथ साथ उन्होंने कहा कि वह इस अभियान से जुड़े हैं और ऐसे हर कार्यक्रम में अपनी भागीदारी सुनिश्चित बनाने के लिये तत्पर रहते हैं.
इस अवसर पर, राज्य रेडक्रॉस अस्पताल कल्याण शाखा की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने राज्यपाल का पौधारोपण कार्यक्रम में भाग लेकर सभी को प्रोत्साहित करने के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि यह एक धार्मिक कार्य ही नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी की सुरक्षा से भी जुड़ा है.