नई दिल्ली. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विधान परिषद की सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर दायर किए गए याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंज़ूर कर लिया है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति अमिताव रॉय और न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता एमएल शर्मा के इस याचिका पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध पर कहा कि वह इसे देखेगी.
याचिका में नीतीश कुमार पर कथित तौर पर लंबित मामले को छिपाने का आरोप लगाया गया है. सोमवार को दायर याचिका में यह कहा गया था कि नीतीश कुमार पर आपराधिक मामला है. इसमें यह भी कहा गया है कि प्रतिवादी संख्या दो (चुनाव आयोग) को मामले की जानकारी होने के बावजूद उनकी सदस्यता रद्द नही की. उन्होंने दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री ने वर्ष 2012 को छोड़कर वर्ष 2004 के बाद कभी भी अपने खिलाफ लंबित मामले की जानकारी नहीं दी.
इससे पहले आरजेडी ने भी प्रेस कांफ्रेंस करके पत्रकारों को मृतक सीताराम सिंह के भाई का वीडियो दिखाया था. जिसके बाद यह आरोप लगाया था कि सीताराम सिंह की हत्या में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आरोपी हैं और उन्हें तुरंत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.
लालू ने फिर बोला नीतीश पर हमला
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. लालू प्रसाद यादव ने उन्हें घेरते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार को राजनीति का पल्टूराम कहना चाहिए.
लालू ने खुद को नीतीश से सीनियर बताया. उन्होंने कहा कि नीतीश, मोदी का जय जयकारा कर रहे हैं, दो-दो बार विधानसभा चुनाव हारे हैं, जेपी अंदोलन के समय मैंने नीतीश को आगे किया. उन्होंने कहा कि मैं उनसे ज्यादा लोकप्रिय था.
बिहार में जबसे महागठबंधन टूटा है, तबसे लगातार सियासी भूकंप के झटके लग रहे हैं. जिस तरह से सियासी माहौल गरमाया हुआ है उससे आगे भी झटके लगने की पूरी संभावना है.