नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में लोगों की भागीदारी के साथ-साथ सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया. उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दुनिया के आगे भारत का दृष्टिकोण सामने रखा. उन्होंने कहा कि कोई विचार तब जन आंदोलन बन जाता है, जब वह ‘चर्चा की मेज से रात्रि भोज की मेज’ तक पहुंचता है. प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को विश्व नेताओं से कहा कि जब लोग इस बात को लेकर सजग हो जाते हैं कि रोजाना के जीवन में की गई उनकी छोटी-छोटी कोशिशें भी बेहद कारगर साबित हो सकती हैं, तो पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
जलवायु परिवर्तन के लिए दुनियाभर के लोगों की भागीदारी जरूरी
पीएम मोदी ने विश्व बैंक की ओर से ‘मेकिंग इट पर्सनल: हाउ बिहेवियरल चेंज कैन टैकल क्लाइमेट चेंज’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में कहा, “दुनियाभर के लोग जलवायु परिवर्तन के बारे में बहुत कुछ सुनते हैं. उनमें से कई लोग बहुत बेचैनी महसूस करते हैं, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे इसका प्रभाव कम करने के लिए क्या कर सकते हैं. उन्हें लगातार एहसास कराया जाता है कि इसमें सिर्फ सरकारों या वैश्विक संस्थानों की ही भूमिका है. अगर उन्हें पता चल जाए कि वे भी योगदान दे सकते हैं, तो उनकी बेचैनी कार्रवाई में बदल जाएगी.”
जलवायु परिवर्तन के लिए ‘मिशन लाइफ’
सम्मेलन में मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला सिर्फ सम्मेलन कक्ष की मेज पर बैठकर नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसकी लड़ाई हर घर से लड़ी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, “जब कोई विचार चर्चा की मेज से रात्रि भोज की मेज तक पहुंचता, तो यह एक जन आंदोलन बन जाता है और हर परिवार एवं व्यक्ति इसका हिस्सा बना जाता है. उनके द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदम पृथ्वी की मदद करने के साथ-साथ इस जन आंदोलन को गति प्रदान कर सकते हैं.”
भारतवासियों के बढ़ते कदम
पीएम ने कहा कि भारत के लोगों ने इस मामले में बहुत कुछ किया है. उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में, जन प्रयासों ने भारत के कई हिस्सों में लिंगानुपात में सुधार किया है. लोगों ने बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाया है. चाहे नदियां हों, या समुद्र तट या सड़कें, भारत के लोग यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी न हो.” मोदी ने कहा कि लोगों ने ही एलईडी बल्ब अपनाने वाले अभियान को सफल बनाया और भारत में करीब 37 करोड़ एलईडी बल्ब बेचे जा चुके हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हर साल लगभग 3.9 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन घटाने में मदद कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत के किसानों ने सुनिश्चित किया कि करीब 7,00,000 हेक्टेयर कृषि भूमि सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के दायरे में आए. मोदी ने रेखांकित किया कि प्रति बूंद अधिक फसल के मंत्र को साकार करते हुए इससे भारी मात्रा में पानी की बचत हुई है.
वैश्विक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका
मोदी ने कहा कि दुनियाभर के देशों को प्रोत्साहित करने में वैश्विक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है. विश्व बैंक समूह जलवायु से निपटने के लिए वित्तपोषण 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 फीसदी करने पर गौर कर रहा है. मोदी ने कहा कि इस जलवायु वित्तपोषण का ध्यान आमतौर पर पारंपरिक पहलुओं पर होता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यवहार संबंधी पहलों के लिए वित्तपोषण के पर्याप्त उपायों पर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ‘मिशन लाइफ’ जैसी व्यवहार संबंधी पहलों के लिए विश्व बैंक के समर्थन का गुणक प्रभाव होगा.