नई दिल्ली. सोमवार को हरियाणा की धरती पर एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने भावना और आस्था की सभी सीमाओं को पार कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के एकमात्र उद्देश्य से 14 साल तक नंगे पैर चलने वाले हरियाणा के कैथल निवासी रामपाल कश्यप को आखिरकार अपने जीवन का सबसे यादगार पल मिल ही गया। वो न केवल वे प्रधानमंत्री से मिले, बल्कि मोदी ने खुद झुककर उनके पैरों में चप्पल पहनाई, जिससे यह अविस्मरणीय और ऐतिहासिक क्षण बन गया।
आस्था की शपथ: मोदी पीएम बनेंगे तो पहनूंगा जूते
नरेंद्र मोदी के समर्पित फॉलोर्स रामपाल कश्यप ने 2009 में एक ऐसी शपथ ली थी, जो उनके जीवन के अगले 14 साल तय करेगी। उनका दृढ़ विश्वास था कि एक नेता के रूप में नरेंद्र मोदी ही वह शख्स हैं,ये देश की किस्मत बदल सकते हैं। इसी दृढ़ विश्वास के साथ उन्होंने शपथ ली कि जब तक मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं बन जाते और वे उनसे व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल लेते, तब तक वे जूते नहीं पहनेंगे। अपने वचन के अनुसार रामपाल हर मौसम में नंगे पैर चलते रहे, चाहे वह गर्मियों की कड़ी धूप हो, सर्दियों की कड़ाके की ठंड हो, या मानसून की मूसलाधार बारिश हो
भाग्य का क्षण
एक दशक से भी अधिक समय से जिस क्षण का इंतजार किया जा रहा था, वह आखिरकार प्रधानमंत्री मोदी के हरियाणा दौरे के दौरान आ ही गया। मंच पर मीडिया और समर्थकों की भीड़ के सामने रामपाल को प्रधानमंत्री से मिलने के लिए बुलाया गया। बेहद भावुक अंदाज में मोदी ने झुककर रामपाल के पैरों में चप्पल पहनाई। पूरा दर्शक वर्ग भावुक हो गया और माहौल भावुक हो गया। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी, जो अपने संयम के लिए जाने जाते हैं, भी इस पल से अभिभूत नजर आए।
पीएम मोदी के शब्द: विश्वास और आस्था का प्रतीक
भावुक मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एकत्रित भीड़ के साथ अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि यह व्रत सिर्फ मेरे लिए नहीं था, यह उन लोगों की सामूहिक शक्ति को दर्शाता है जो हमारे देश के लिए एक नई दिशा में विश्वास करते हैं। 14 साल तक नंगे पैर चलना आसान नहीं है; यह त्याग और अटूट आस्था का चरम है।
इस पल से अभिभूत रामपाल आंसूओं से अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते नजर आए। उनके अटूट विश्वास और भक्ति को आखिरकार न केवल प्रधानमंत्री बल्कि भारत के लोगों ने भी मान्यता दी। यह मुलाकात नेता और उनके अनुयायियों के बीच गहरे संबंध की याद दिलाती है, और कैसे आस्था के ऐसे कार्य समय और स्थान से परे हो सकते हैं।
राजनीति से अक्सर विभाजित देश में, नरेंद्र मोदी और रामपाल कश्यप के बीच इस गहरे मानवीय क्षण ने देश को विश्वास, त्याग और एक नेता और लोगों के बीच मजबूत भावनात्मक बंधन की शक्ति की याद दिला दी।