लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गोरखपुर दौरे पर पहुंचे. गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह के समापन कार्यक्रम में शामिल होने के बाद गोरखपुर जंक्शन से पीएम मोदी ने वंदे भारत को हरी झंडी दिखाई. यह ट्रेन अयोध्या होते हुए लखनऊ तक चलेगी. वंदे भारत ट्रेन को रवाना करने के दौरान सीएम योगी भी साथ रहे.
इसके पहले गीता प्रेस के कार्यक्रम में पीएम ने कहा, “गीता प्रेस विश्व का ऐसा इकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ संस्था नहीं, बल्कि जीवंत आस्था है. मानव मूल्यों को बचाने के लिए गीता प्रेस जैसी संस्थाएं जन्म लेती हैं. गीता प्रेस का कार्यालय करोड़ों लोगों के लिए किसी मंदिर से कम नहीं है. इसके नाम और काम में भी गीता है. जहां गीता है वहां साक्षात् कृष्ण भी हैं. वहां करुणा है, ज्ञान का बोध भी है, हां विज्ञान का शोध भी है. यहां सब वासुदेवमय है.”
संतों के आशीर्वाद से ऐसे संस्थान बनते हैं
पीएम मोदी ने कहा- सावन का पवित्र माह, इंद्र देव का आशीर्वाद, संतों की कर्मस्थली, ये गोरखपुर की गीता प्रेस. जब संतों का आशीर्वाद फलीभूत होता है, तब ऐसे संस्थान बनते हैं.
पीएम ने कहा- इस बार का मेरा गोरखपुर का दौरा विकास भी-विरासत की नीति का अद्भुत उदाहरण है. गीता प्रेस के इस कार्यक्रम के बाद मैं गोरखपुर रेलवे स्टेशन जाऊंगा. आज से ही गोरखपुर रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण का काम भी शुरू होने जा रहा है.”
पीएम ने कहा- वंदे भारत ट्रेन ने देश के मध्यम वर्ग को सुविधा और सहूलियत की एक नई उड़ान दी है. आज देश के कोने-कोने से नेता मुझे चिट्ठियां लिखकर कहते हैं कि हमारे क्षेत्र से भी वंदे भारत ट्रेन चलाइए. ये वंदे भारत का क्रेज है.
गीता प्रेस ने समर्पित नागरिकों का निर्माण किया
गीता प्रेस से करोड़ों किताब प्रकाशित हो चुकी हैं. ये किताब लागत से कम मूल्य पर बिकती हैं. घर-घर पहुंचाई जाती है. आप कल्पना करिए कितने ही लोगों को इन किताबों ने कितने समर्पित नागरिकों का निर्माण किया. मैं ऐसे लोगों को प्रणाम करता हूं.
सीएम योगी बोले- ये नया भारत है
सीएम योगी ने कहा- हम सभी ने बीते 9 वर्षों में भारत के विकास की यात्रा के साथ-साथ आस्था और विरासत को मिल रहे सम्मान व वैश्विक स्तर पर मिल रही पहचान को देखा है.
ये नया भारत प्रधानमंत्री जी का अनुयायी बनकर, उनके मार्ग का अनुसरण करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करने के उनके संकल्पों के साथ कार्य कर रहा है. गीता प्रेस अपनी 100 वर्ष की शानदार यात्रा को लेकर आगे बढ़ा है, लेकिन विगत 75 वर्षों में आज तक कोई प्रधानमंत्री गीता प्रेस में नहीं आया.
योग भारत की अति प्राचीन विधा रही है, लेकिन पहली बार योग को वैश्विक मान्यता मिली है. 21 जून की तिथि को संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता देकर प्रधानमंत्री जी के प्रस्ताव को वैश्विक मान्यता दी गयी है.