नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. बीजेपी ने हिंदी हार्टलैंड पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि पांच में तीन राज्य यानी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को जीत मिली है.
जबकि दक्षिण में तेलंगाना में कांग्रेस को जीत मिली है, और मिजोरम में जेडपीएम ने जीत हासिल की है. हिंदी हार्टलैंड में जीत के बाद यहां के वोटर्स को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.
बीजेपी को हिंदी हार्टलैंड में मिली जीत के बाद सोशल मीडिया लेकर हर जगह यही बात हो रही है कि उत्तर भारत के लोगों ने हिंदुत्व की राजनीति को स्वीकार किया है. उन्हें रोजगार, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है. बीजेपी के नेताओं ने इसका जवाब भी देना शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर खुद अपनी राय रखी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक न्यूज चैनल के वीडियो को ट्वीट करते हुए कांग्रेस समेत विपक्ष पर तंज कसा.
पीएम ने एक न्यूज चैनल के एंकर के जरिए शेयर किए गए वीडियो पर रिप्लाई देते हुए हिंदी हार्टलैंड को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब दिया है. उन्होंने लिखा, ‘वे अपने अहंकार, झूठ, निराशावाद और अज्ञानता से खुश रह सकते हैं. मगर उनके विभाजनकारी एजेंडे से सावधान रहना होगा. 70 साल पुरानी आदत इतनी आसानी से नहीं जा सकती. साथ ही ऐसे लोगों से उम्मीद की जाती है कि उन्हें इस तरह के हालातों के लिए तैयार रहना चाहिए.’
देखें वीडियो में क्या कहता है एंकर?
न्यूज एंकर कहता है कि चुनाव हारने के बाद कहा जा रहा है कि हिंदी हार्टलैंड के वोटर्स की जनसंख्या दर ज्यादा है. वे ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं. उन्होंने हिंदुत्व को बढ़ावा दिया है. यहां के वोटर्स ने फासीवाद का समर्थन किया है. शिवराज सिंह चौहान ने पीएम मोदी को हरा दिया है.
बीजेपी ने लोगों को बहकाया है. हिंदी हार्टलैंड कट्टरपंथी लोगों से भरा हुआ है. भारत की एक बड़ी आबादी के लिए धर्म ही सबकुछ है. कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व फेल हो गया है. मुस्लिम विरोधी भावनाओं ने जीत हासिल की है.
वह आगे कहता है कि विपक्ष का कहना है कि हिंदी हार्टलैंड सिर्फ गौमूत्र और गोबर पर वोट करता है. दक्षिण भारत उत्तर भारत की तुलना में ज्यादा जागरूक है. उत्तर और दक्षिण भारत के बीच विभाजन बहुत ज्यादा बढ़ गया है. लोग दक्षिण भारत में नौकरियों के लिए जाते हैं और उत्तर भारत में आकर बीजेपी के लिए वोट करते हैं. कांग्रेस जानबूझकर इन चुनावों को हार गई, क्योंकि उसने 2003 और 2018 का चुनावी पैटर्न देखा था, जिसमें इन चुनावों में जीत हासिल करने वाली पार्टी को लोकसभा चुनाव में हार मिली थी. ये कुछ ऐसे बहाने हैं, जिन्हें चुनाव हारने के बाद बनाया जा रहा है.