नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित किए गए पोस्ट-बजट वेबिनार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाई देने के लिए लीक से हटकर सोचना होगा और दीर्घकालिक योजना बनानी होगी.
कैसे होगी टूरिज्म सेक्टर में वृद्धि? PM ने बताया
उन्होंने कहा कि आज वो समय है, जब हमारे गांव भी टूरिज्म का केंद्र बन रहे हैं. बेहतर होते इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण अब दूर-सुदूर के गांव टूरिज्म मैप पर आ रहे हैं. जब भी कोई टूरिस्ट डेस्टिनेशन को विकसित करने की बात आती है तीन सवाल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं.
- पहला- उस स्थान का Potential क्या है?
- दूसरा- Ease of Travel के लिए वहां की Infrastructural Need क्या है, उसे कैसे पूरा करेंगे?
- तीसरा – Promotion के लिए नया क्या करेंगे?
आगे उन्होंने कहा कि देश के बॉर्डर इलाकों का भी तेजी से विकास हो रहा है. बॉर्डर किनारे बसे गांवों में ‘वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज योजना’ भी शुरू की है. उन्होंने कहा, आज का ‘नया भारत नए वर्क कल्चर’ के साथ आगे बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री ने बजट का भी जिक्र किया. कहा कि इस बार बजट की भी खूब वाह-वाही हुई है. देश के लोगों ने इसे पॉजिटिव तरीके से लिया है.
ये हमारे सांस्कृतिक-सामाजिक जीवन का हिस्सा रहा है
वेबीनार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने टूरिज्म को बढ़ावा देने पर फोकस किया. कहा, ‘होम स्टे हों, छोटे होटल हों, छोटे रेस्टोरेंट हों ऐसे अनेक बिजनेस के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करने का काम हमें करना है. बोले, जब यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ती हैं, तो कैसे यात्रियों में आकर्षण बढ़ता है, उनकी संख्या में भारी वृद्धि होती है, ये भी हम देश में देख रहे हैं.
हमारे गांव भी टूरिज्म का केंद्र बन रहे हैं
उन्होंने कहा, भारत के विभिन्न स्थलों में अगर Civic Amenities बढ़ाई जाएं, वहां डिजिटल कनेक्टिविटी अच्छी हो, होटल-हॉस्पिटल अच्छे हों, गंदगी का नामो-निशान ना हो, बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर हो तो भारत के टूरिज्म सेक्टर में कई गुना वृद्धि हो सकती है.
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि, यात्राओं की इस पुरातन परंपरा के बावजूद दुर्भाग्य ये रहा कि इन स्थानों पर समय के अनुकूल सुविधाएं बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने आगे कहा, पहले सैकड़ों वर्षों की गुलामी और आजादी के बाद के दशकों में इन स्थानों की राजनीतिक उपेक्षा ने देश का बहुत नुकसान किया. अब आज का भारत इस स्थिति को बदल रहा है. जब संसाधन नहीं थे, तब भी कष्ट उठाकर लोग यात्राओं पर जाते थे. चारधाम यात्रा, द्वादश ज्योर्लिंग की यात्रा, 51 शक्तिपीठ की यात्रा, ऐसी कितनी ही यात्राएं हमारे आस्था के स्थलों को जोड़ती थीं. हमारे यहां होने वाली यात्राओं ने देश की एकता को मजबूत करने का भी काम किया है.