शिमला. हिमाचल में आलू की पैदावार दो लाख मीट्रिक टन के आंकड़े तक नहीं पहुंच पा रही है. 2021-22 में प्रदेश में आलू उत्पादन का आंकड़ा 1 लाख 96 हजार 50 मीट्रिक टन के आसपास रहा है. बीते तीन वर्षों में यह आंकड़ा 196 हजार मीट्रिक टन के आसपास ही रहा है.
हिमाचल बीज आलू की विभिन्न किस्में बड़े पैमाने पर पैदा करता है. आलू चंबा, कुल्लू, लाहुल, शिमला, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर के ऊंचे स्थानों में पैदा किया जाता. हिमाचल का बीज आलू पूरे देश की 20 प्रतिशत से अधिक जरूरत को पूरा करता है.
प्रदेश में सबसे अधिक 205.97 हजार मीट्रिक टन आलू की पैदावार 2010-11 में हुई थी, जबकि 2013-2014 में आलू की पैदावार का ग्राफ 205.28 हजार मीट्रिक टन तक पहुंचा था.
जानिए हिमाचली आलू क्यों इतना प्रसिद्ध है ?
यहां का आलू बीमारी रहित गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है. यहां बीज मुख्यत: महाराष्ट्र, गुजरात, मैसूर, मध्य प्रदेश, और ओडिशा आदि राज्यों को निर्यात किया जाता है. आलू प्रदेश की अति महत्त्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है. प्रदेश का बीज आलू विभिन्न रोगों से मुक्त होने तथा अधिक पैदावार की क्षमता रखने के परिणाम स्वरूप इसकी मांग देश के विभिन्न राज्यों में काफी अधिक है.
चिप्स के लिए बेहतरीन
आलू और बीज आलू की पैदावार के लिए हिमाचल की देश में अलग पहचान है. जिला कांगड़ा के दर्जन भर विकास खंडों में करीब 15-20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में आलू का उत्पादन किया जाता है. इसमें से भी पांच विकास खंडों में ही करीब 90 प्रतिशत आलू की पैदावार होती है.
जिला कांगड़ा में सालाना आलू की पैदावार 40-50 हजार टन के आसपास होती है और नगरोटा व पठियार में पैदा होने वाला आलू चिप्स के लिए बहुत अच्छा माना जाता है.