नई दिल्ली. हिमाचल बीजेपी का एकमात्र चेहरा जो वीरभद्र सिंह के सामने उठने, टिकने और मुख्यमंत्री बनने का दम रखता दिखाई देता है उसका नाम है प्रेम कुमार धूमल. वीरभद्र सिंह ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि भाजपा बिन दूल्हे की बारात है. इसका असर कहें या कहें कोई और रणनीति, भाजपा को मुख्यमंत्री का चेहरा धूमल को बनाना ही पड़ा. आइए हम जानें कि आखिर कौन हैं धूमल और हिमाचल की राजनीति में कितनी है इनकी धमक.
धूमल के बगैर कैसे खिलेगा कमल
सुजानपुर विधानसभा के लिये पर्चा भरने वाले भाजपा के प्रेम कुमार धूमल ने हिमाचल में अपनी अलग पहचान बनाई है. दो बार मुख्यमंत्री बनकर हिमाचल प्रदेश की राजनीति में अपनी गहरी पैठ बना चुके हैं. उनके नाम की घोषणा से पहले जेपी नड्डा के नाम की भी चर्चा हो रही थी. वहीं इस बात के भी कयास लगाये जा रहे थे कि भाजपा इस बार किसी भी नेता का नाम लिये बगैर केवल मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ेगी, लेकिन हाईकमान को धूमल के नाम की जरूरत पड़ ही गई.
धूमल का शुरुआती जीवन
10 अप्रैल 1944 को हमीरपुर के समीरपुर गांव में जन्मे धूमल की शुरुआती शिक्षा भगवाड़ा के मिडिल स्कूल में हुई. वहीं मैट्रिक की पढ़ाई डीएवी हाई, स्कूल टौणी देवी से हुई. 1970 में उन्होंने जालंधर के दोआबा कॉलेज से एमए इंग्लिश किया. उसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय (जालंधर) में प्रवक्ता के रूप में काम किया. धूमल ने राजनीति की शुरुआत 1984 से की जब उन्होंने संसदीय चुनाव में भाग लिया लेकिन हार का सामना करना पड़ा. वहीं जब 1989 में फिर से चुनाव लड़ा तो जीत मिली. उसके बाद लगातार अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में लग गये.
मुख्यमंत्री बनने और सांसद-धूमल
1991 में फिर से हमीरपुर से जीत मिली. 1996 के लोकसभा चुनाव में हारने के बाद 1998 में बमसन क्षेत्र से विधानसभा का सीट जीतकर भाजपा-हिविंका गठबंधन से 1998 से 2003 तक मुख्यमंत्री के पद को संभाला. उसके बाद फिर से 2007 से 2012 तक हिमाचल के सत्ता पर काबिज रहे. अब इस बार वीरभद्र को टक्कर देते दिख रहे हैं. क्या होगा धूमल का भविष्य कह नहीं सकते, जीत मिलेगी या हार यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा.
चुनावी यज्ञ में धूमल और अनुराग
वहीं धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर ने भी राजनीति में अच्छी पकड़ बना ली है. दोनो बाप-बेटे हिमाचल की राजनीति में वीरभद्र का अच्छे से सामना करते हुए दिखते हैं. वहीं क्या धूमल वीरभद्र की जगह ले पाएंगे यह अहम सवाल बना हुआ है. धूमल के लिये मोदी लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं. वीरभद्र को घेरने का प्रयास जारी है देखना होगा की इस चुनावी यज्ञ से क्या बाहर आता है.