शिमला: प्रदेश में भांग की खेती को वैधानिक दर्जा प्रदान करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. भांग की खेती को वैधानिक दर्जा प्रदान करने की संस्तुति करने के मकसद से गठित कमेटी एक माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.
वैधानिक दर्जे के लिए बनेगा कानून- जगत सिंह नेगी
कमेटी की रिपोर्ट के बाद सरकार राज्य में भांग की खेती को वैधानिक दर्जा प्रदान करने बारे में कानून बना सकती है. गौरतलब है कि हिमाचल में भांग की खेती को वैधानिक दर्जा प्रदान करने की मांग सालों पुरानी है. विधान सभा के बीते बजट सत्र में भाजपा विधायक पूर्ण ठाकुर ने एक मर्तबा फिर भांग की खेती को वैधानिक दर्जा देने का मुद्दा उठाया.
सत्ता पक्ष के विधायक एवं मुख्य संसदीय सचिव सुंदर ठाकुर ने भी इसका समर्थन किया. पक्ष विपक्ष दोनों तरफ के विधायकों द्वारा मुद्दे का समर्थन होता देख मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू ने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया.
कमेटी में मुख्य संसदीय सचिव सुन्दर ठाकुर, विधायक हंस राज, डा. जनक राज व पूर्ण ठाकुर को बतौर सदस्य शामिल किया गया. कमेटी बीते दिनों उत्तराखंड व मध्य प्रदेश में भांग की खेती के मॉडल का अध्ययन कर लौटी है. कमेटी के अध्यक्ष जगत सिंह नेगी ने बताया कि राज्य में पंचायती राज संस्थाओं के नुमाइंदों व अन्य लोगों से भी भांग की खेती को वैधानिक दर्जा प्रदान करने के मुद्दे पर चर्चा हुई है. कोई भी इसके खिलाफ नहीं है. प्रदेश के कुछ जिलों का दौरा करने के बाद कमेटी एक माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी.
राजस्व और रोजगार में होगी बढ़ोतरी
मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि औद्योगिक भांग का कई तरह से उपयोग होता है. न सिर्फ इसका तेल, बल्कि इससे कपड़े भी बनाए जाते हैं. दवाइयों में भी इसका इस्तेमाल होता है. करीब 200 प्रकार के उत्पाद भांग से बनाए जाते हैं. राज्य में उत्तराखंड की तर्ज पर नियंत्रित औद्योगिक भांग की खेती की संभावना है. भांग की खेती को वैधानिक दर्जा मिलने से न सिर्फ रोजगार, बल्कि सरकारी राजस्व में भी इजाफा होगा.