शिमला: हिमाचल बीजेपी के नए अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने बतौर अध्यक्ष आज कार्यभार संभाल लिया. इस दौरान डॉ. राजीव बिंदल का हिमाचल बीजेपी के प्रदेश कार्यालय पहुंचने पर जोरदार स्वागत हुआ. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, निवर्तमान अध्यक्ष सुरेश कश्यप, जयराम सरकार में रहे कैबिनेट मंत्री और मौजूदा विधायकों के साथ कार्यकर्ताओं ने ढोल नगाड़े और ‘जय श्री राम’ के नारों के साथ बिंदल का पार्टी दफ्तर में स्वागत किया.
मैं चुनाव में सहयोग करूंगा- बिंदल
हिमाचल बीजेपी के दफ्तर में जोरदार स्वागत के बाद अब डॉ. राजीव बिंदल के सामने चुनौतियों का पहाड़ है. अगले आठ दिन में नगर निगम चुनाव हैं. मौजूदा वक्त में ग्राउंड जीरो पर पार्टी काफी हद तक कमजोर नजर आ रही है. ऐसे में इतने कम समय में ही डॉ. राजीव बिंदल के सामने पार्टी में जान भरने की चुनौती रहने वाली है. हालांकि नगर निगम शिमला चुनाव में पार्टी की तैयारियों को लेकर डॉ. बिंदल ने कहा कि लड़ाई के बीच कमांडर चेंज नहीं हुआ है. निवर्तमान अध्यक्ष सुरेश कश्यप और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के निर्देश के मुताबिक ही चुनाव लड़ा जाएगा और इन चुनावों को लड़ाने में पार्टी की मदद करेंगे.
बिंदल के सामने चुनौतियों का पहाड़
बिंदल को ऐसे मुश्किल समय में पार्टी की कमान सौंपी गई है, जब कार्यकर्ता तो ग्राउंड जीरो पर काम कर रहा है लेकिन उन्हें नेताओं का बहुत सहयोग नहीं मिल पा रहा है जो अपेक्षित है. पहले उपचुनाव और फिर विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली हार के बाद अब नगर निगम शिमला के चुनाव में भी पार्टी ही राह मुश्किल नजर आ रही है. आठ दिन के थोड़े से वक्त में ही डॉ. बिंदल के लिए समीकरण साधने और बैलेंस बनाने की बड़ी चुनौती रहने वाली है. डॉ. राजीव बिंदल की पहचान प्रदेश भर में एक कुशल प्रबंधक के रूप में है. ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं को भी डॉ. बिंदल के अध्यक्ष बनाने से उम्मीद जगी है.
कैसे जीतेंगे नगर निगम शिमला का चुनाव?
हिमाचल प्रदेश में हाल ही में सत्ता परिवर्तन हुआ है. प्रदेश की सत्ता पर मुख्यमंत्री सुक्खू काबिज हुए हैं. साधारण शब्दों में कहा जाए तो कांग्रेस लगातार ग्राउंड जीरो पर यह प्रचार कर रही है कि नगर निगम पार्षदों को भी सरकार के साथ चलना होगा तभी शहर का विकास भी आगे बढ़ सकेगा. ऐसे में जनता यह सोचकर कांग्रेस उम्मीदवारों के हक में वोट कर सकती है कि इससे राज्य सरकार और नगर निगम में तालमेल बेहतर होगा और प्रदेश का विकास होगा. इस सब बातों को ध्यान में रखकर यह कहा जा सकता है कि बीजेपी की नगर निगम के चुनाव में मुश्किलें बढ़ने वाली है.