जयपुर: भरतपुर की रियासत में जाट समाज के राजाओं का वर्चस्व रहा, भरतपुर जिले को जाट बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. इस जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं. भरतपुर में 2 लाख 70 हजार मतदाता हैं और इन मतदाताओं में सबसे अधिक जाट हैं. जिनकी तादाद लगभग 88 हजार है.
हालांकि लगभग 50 वर्ष से भरतपुर में जाट समुदाय से किसी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली है. प्रदेश की कांग्रेस और बीजेपी ने यहां से कभी भी किसी जाट प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है.
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले जिला जाट महासभा द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में यह तय हुआ है कि बीजेपी और कांग्रेस से चार सीटों पर जाट समाज के लोगों को उम्मीदवार बनाने की मांग की जाएगी. जाट समुदाय ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो फिर ये अपने उम्मीदवार खड़ा करेंगे. जिला जाट समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि यदि राष्ट्रीय पार्टियां जाट समाज को टिकट नहीं देती हैं तो फिर जाट समुदाय अपना एक प्रत्याशी खड़ा करेगा.
जाट विधायक बनाने के लिए करेंगे जागरुक
भरतपुर विधानसभा सीट पर पिछले 50 वर्षों से ब्राह्मण और वैश्य समाज के लोगों को ही बीजेपी और कांग्रेस टिकट देती आई है. इसी समुदाय के लोग ही जीतकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं. जाट समुदाय ने कहा कि, ‘इस बार ऐसा नहीं होने दिया जायेगा.’ जिला जाट महासभा का कहना है कि हमारी रणनीति के तहत जिला जाट महासभा कार्यकर्त्ता और पदाधिकारी हर गांव में जाकर पंचायत करेंगे और अपना विधायक बनने के लिए लोगों को जागरूक करेंगे. भरतपुर शहर विधानसभा सीट के अलावा उन्होंने नगर विधानसभा सीट से भी जाट समुदाय के लिए टिकट की मांग की है.
क्या कहना है जिला जाट महासभा का?
जिला जाट महासभा के जिला अध्यक्ष प्रेम सिंह कुंतल ने बताया कि, ‘बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही भरतपुर शहर विधानसभा सीट पर पिछले 50 वर्षों से जाट समुदाय को टिकट नहीं दिया है. जबकि सीट पर सबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं. इस बार यह फैसला किया गया है कि यदि दोनों ही जाट समुदाय को टिकट नहीं देती है, तो जाट समुदाय एक होकर अपना प्रत्याशी खड़ा करेगा और चुनाव जीतेगा.’