शिमला(रामपुर बुशहर). शहर में 21वीं सदी का पहला कवि सम्मेलन नगर परिषद के टाउन हॉल में बुधवार को आयोजित किया गया. “हिमाचल संस्कृत अकादमी” के सहयोग से जेआरपी प्रोडक्शन द्वारा इस सम्मेलन को आयोजित किया गया. संस्कृत, हिंदी और पहाड़ी में आयोजित किये गए इस कवि सम्मेलन में जिला शिमला, कुल्लू और रामपुर बुशहर क्षेत्र के ख्याति प्राप्त और नवोदित कवियों और साहित्यकारों ने अपनी कविता का पाठ कर खूब गुदगुदाया.
सम्मेलन में डा. मस्तराम शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस मौके पर “पहाड़ी बोली पर संस्कृत के प्रभाव” पर मदन गोपाल शास्त्री द्वरा शोध पत्र भी पढ़ा गया.
मंच पर कवियों ने एक से बढ़ कर एक कविता पाठ कर मंत्रमुग्ध कर दिया. सम्मेलन में कृष्णानंद भारद्वाज ने अपनी गंभीर आवाज में वीर रस की कविता का प्रवाह कर श्रोताओं में जोश भर दिया तथा कविता के माध्यम से पड़ोसी देश पाकिस्तान को चेतावनी भी दे डाली.
दूसरे पायदान पर कैलाश महाजन ने अपनी कविता इंसानियत से इंसानियत पर ही सवाल दाग कर खूब वाहवाही लूटी. वहीं धर्मगुरुओं पर किए गए व्यंगात्मक कटाक्ष से उनके मन की पीड़ा का सहज ही अहसास देखने को मिला.
श्याम भारद्वाज की कविता जय जगदीश हरे में तो श्रोताओं ने उनके सुर में सुर मिला कर कविता का आनंद लिया. वयोवृद्ध सेवानिवृत शिक्षक जेबी बंसल ने अपनी कविता के माध्यम से अपनी जवानी के दिनों की याद ताजा कर दी. अपनी क्षणिकाओं के माध्यम से उन्होंने श्रोताओं के मन को खूब गुदगुदाया.
डा. संजू शर्मा ने कविता में रस, छंद और अलंकारों के उपयोग करने के बारे विस्तार से बताया और दोषमुक्त कविता के गुर बताए. इसी कड़ी में ललित की ओजस्वी कविता मन के पर्दे से प्रकाश जब रुद्ध हो जाए द्वारा मौजूदा कानून व्यवस्था पर प्रहार कर गुड़िया कांड की याद को ताजा कर दिया. इसी प्रकार शिवराज शर्मा, अनुराधा बंधु व अन्य कवियों ने अपनी कवताओं के माध्यम से श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ी. लेकिन पहाड़ी कविताएं नाममात्र ही अपनी जगह बना पाई.
वैसे तो सभी कवियों ने अपनी कविताओं में सभी रस और अलंकारों का प्रयोग यथा संभव किया लेकिन हास्य रस की कमी खलती रही और उससे भी अधिक मायूस किया श्रोताओं की कमी ने. कुल मिला कर संस्कृत अकादमी का यह एक सफल प्रयास माना जा सकता है.
इस मौके पर संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ. मस्त राम शर्मा ने कहा कि संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए अकादमी लगातार प्रयास कर रही है. संस्कृत देवों और वेदों की भाषा है और इसको बढ़ावा देने के लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जल्द ही रामपुर बुशहर के लालसा गों में संस्कृत विद्यालय खोल जाएगा. इससे इस क्षेत्र के लोगों को संस्कृत में शिक्षा ग्रहण करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में संस्कृत की पुरातन किताबों के संरक्षण के लिए भी सरकार प्रयास करेगी.
इस मौके पर जग मोहन शर्मा ने कहा कि संस्कृत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के कवि और साहित्य सम्मेलन किये जाने जरूरी है. इसी दिशा में पहला प्रयास है आगे भी ऐसे आयोजन किये जाते रहेंगे.