नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की अर्थव्यवस्था का अनुमान लगाया है. RBI के मुताबिक, 2023-2024 में रियल GDP ग्रोथ 6.4% की संभावना है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2023-24 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति औसतन 5.6% रहने की उम्मीद है. गौरतलब है कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई, बैंकों को कर्ज़ देता है.
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज यानी 8 फरवरी 2023 को मौद्रिक समीक्षा बैठक में बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.50% करने का फैसला किया है. RBI की सोमवार से शुरू हुई मौद्रिक समीक्षा बैठक (RBI MPC) का आज अंतिम दिन है.
RBI 2022 में पांच मॉनिटरी पॉलिसी की बैठकों में 2.25 फीसदी रेपो रेट बढ़ा चुकी है
इससे पहले आरबीआई ने साल 2022 में पांच मॉनिटरी पॉलिसी की बैठकों में 2.25 फीसदी रेपो रेट बढ़ा चुकी है. आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के बाद सरकारी-निजी बैंक से लेकर हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां होम लोन के ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेंगी. इसके बाद अब लोगों की होम लोन की ईएमआई ( EMI) महंगी हो जाएगी.
जानिए कितनी बढ़ जाएगी आपकी ईएमआई
अगर किसी ने 20 लाख रुपये का होम लोन 8.60 फीसदी ब्याज दर के हिसाब से 20 साल के लिए ले रखा है. ऐसे में वह अपने होम लोन के लिए हर महीने 21,854 रुपये की ईएमआई चुका रहा है. अब रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी होने के बाद ब्याज दर बढ़कर 8.85 फीसदी हो जाएगी. ऐसे में उसे 21,854 की जगह अब 22,253 रुपये की ईएमआई चुकानी होगी. इस तरह से देखें तो उसकी ईएमआई करीब 400 रुपये तक महंगी हो जाएगी.
लगातार छठी बार आरबीआई ने बढ़ाई है रेपो रेट
आरबीआई ने इस बार लगातार छठी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. इसके पहले आरबीआई ने 5 बार रेपो रेट में इजाफा किया है. एक साल में आरबीआई ने कुल 225 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी. आरबीआई ने आखिरी बार दिसंबर 2022 में इसमें 0.35 फीसदी का इजाफा किया गया था. इसे बढ़ाकर 6.24 फीसदी कर दिया गया था. रेपो रेट बढ़ने से सबसे ज्यादा झटका आम आदमी को लगा है. आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ गया है.
EMI बढ़ेगी लेकिन इनको होगा फायदा
आरबीआई की ओर से रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ जाएगा, लेकिन इससे बैंकों में जमा एफडी पर लोगों को ब्याज ज्यादा मिलेगा. आरबीआई की ओर से रेपो रेट में बढ़ोतरी की मुख्य वजह महंगाई को कंट्रोल करना है. आरबीआई मार्केट से कैश को कम करना चाहता है, जिससे महंगाई काबू में आ सके.