ऊना. अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी सुखदेव सिंह ने कहा कि बच्चों को कुपोषण की समस्या से बाहर निकालने के लिए सभी संबंधित विभाग मिलकर कार्य करें. उन्होंने कहा कि बच्चों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. जिसे शिक्षा, आईसीडीएस तथा स्वास्थ्य विभागों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है.
एडीएम ने वीरवार को स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों को लेकर आयोजित समीक्षा बैठक की. बैठक की अध्यक्षता एडीएम कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कुपोषण की समस्या के कारण की बच्चे जल्दी विभिन्न बीमारियों के शिकार होते हैं, जिसके प्रति ग्रामीण स्तर पर व्यापक जन जागरुकता लाने की आवश्यकता है. बच्चों में कम वजन, कम उंचाई, आयु के हिसाब से कम वजन तथा मोटापा कुपोषण की समस्या के प्रमुख कारणों में रहता है. जिसके प्रति अभिभावकों एवं समाज में व्यापक जन जागरुकता लाने की आवश्यकता है. इसके अलावा लडकियों में खून की कमी होना भी एक बहुत बड़ी समस्या हमारे सामने रहती है जिस पर भी व्यापक जागरूकता लाने की जरुरत है.
एडीएम ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारियों को शिक्षा एवं आईसीडीएस के साथ मिलकर कुपोषण के प्रति व्यापक जन जागरुकता लाने पर बल दिया.
साथ ही परिवार नियोजन के अंतर्गत गुणवत्ता आश्वासन समिति के तहत गठित परिवार नियोजन क्षतिपूर्ति उपसमिति की बैठक में पुरूष व महिला द्वारा परिवार नियोजन अपनाने के बारे भी व्यापक चर्चा की गई. उन्होंने बताया कि परिवार नियोजन के लिए नसबंदी के फेल होने की स्थिति में क्षतिपूर्ति के लिए 90 दिन के भीतर प्रभावित व्यक्ति अपना दावा आवश्यक दस्तावेजों के साथ मुख्य चिकित्सा अधिकारी को प्रस्तुत कर सकता है.
उन्होंने बताया कि नसबंदी के फेल होने की स्थिति में परिवार नियोजन क्षतिपूर्ति योजना के अंतर्गत संबंधित व्यक्ति को बतौर क्षतिपूर्ति 30 हजार रूपये जबकि जटिलता होने पर 50 हजार तथा नसबंदी के कारण मृत्यु होने पर दो लाख रूपये तक की राशि बतौर राहत प्रदान करने का प्रावधान है. इस तरह मामलों में नसबंदी फेल होने की दर बहुत कम रहती है.
परिवार नियोजन सेवाओं में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए राज्य व जिला स्तर पर गुणवत्ता आश्वासन समितियों का गठन किया गया है. जिनका मुख्य उदेश्य परिवार नियोजन कार्यक्रम के दौरान की जाने वाली नसबंदी की सेवाओं में गुणवत्ता सुनिश्चित करना है.