नई दिल्ली. भारत की पहली महिला राज्यपाल और भारत की कोकिला (Nightingale of India) के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) को देश आज उनके जन्मदिन पर याद कर रहा है. हैदराबाद के एक बंगाली परिवार में 13 फरवरी 1879 को जन्मी सरोजिनी नायडू भारत की स्वतंत्रता सेनानी, लेखिका, कार्यकर्ता, प्रसिद्ध कवि और गीतकार थीं. सरोजिनी नायडू अपने आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी. सरोजिनी के पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान थे जबकि इनकी मां कवियत्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं.

अपने जीवनकाल में सरोजिनी नायडू ने देशभक्ति से लेकर रोमांस और त्रासदी जैसी विभिन्न विधाओं में बच्चों के लिए कई कविताएं लिखी हैं. 12 साल की आयु में सरोजिनी नायडू ने साहित्य में अपने करियर की शुरुआत की थी. जबकि उनको शौहरत मिली “माहेर मुनीर” नामक एक नाटक से.
16 साल की आयु में पढ़ने के लिए पहुंची लंदन
सरोजिनी नायडू मात्र 16 साल की उम्र में हैदराबाद के निजाम से मिली छात्रवृत्ति की बदौलत लंदन के किंग्स कॉलेज में पढ़ने चली गई थीं. इसके बाद उन्हें यूके के मशहूर कैम्ब्रिज के गिरटन कॉलेज में पढ़ाई करने का मौका भी मिला.
सरोजिनी नायडू के जन्मदिवस को उनके देश को दिए गए योगदान के कारण राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s day) के रूप में भी मनाया जाता है. सरोजिनी देश की ऊन लाखों महिलाओं में से एक थी जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष किया था.

13 साल की उम्र में लिखी थी कविता
13 साल की आयु में उन्होंने लेडी ऑफ दी लेक (The Lady of the Lake) नामक कविता लिखी. गोल्डन थ्रैशोल्ड (The Golden Threshold) उनका पहला कविता संग्रह था. उनके दूसरे एवं तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम (Bird of Time) के अलावा ब्रोकन विंग (Broken Wing) ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री के रूप में पहचान दी.
कांग्रेस के साथ जुड़ाव
1905 में सरोजिनी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के साथ जुड़ी. इसके साथ ही उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में आम महिलाओं को भी भाग ले लेने के लिए प्रेरित किया. साल 1906 में कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और इंडियन सोशल कॉन्फ्रेंस के दौरान दिए गए उनके संबोधनों को खासा पसंद किया गया.

साल 1911 में बाढ़ पीड़ितों के लिए काम करने के कारण उन्हें कैसर-ए- हिंद पदक दिया गया था, जिसे बाद में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में 1919 में ही उन्होंने इस पदक को वापिस लौटा दिया था. सरोजिनी नायडू देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और देश की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष
सरोजिनी नायडू को 1925 के कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन में अध्यक्ष चुना गया था. वे इस उपलब्धि हासिल करने वाली दूसरी महिला और पहली भारतीय महिला थी. सरोजिनी ने महात्मा गांधी द्वारा किए गए हरेक आंदोलन में भाग लिया और आंदोलनों के महिला मोर्चों की अगुआई भी की.

सरोजिनी नायडू की उस समय के कई बड़े नेताओं के साथ गहरी दोस्ती भी थी जिनमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष एनी बेसेन्ट के अलावा वे महात्मा गांधी की भी प्रिय शिष्या थीं. इनके साथ ही वो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की भी मित्र थी और यहीं कारण रहा कि उन्होंने नेहरु के इच्छा से उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का पद संभाला था.