सिरमौर(शिलाई). केंद्र व राज्य सरकार की गर्भवती महिलाओं को लेकर जच्चा-बच्चा सुरक्षित योजनाओं की पोल एक बार फिर खुल गई है. 108 एंबुलेंस सेवा ने 24 साल की महिला का प्रसव कराया तो पता चला कि उस महिला का न तो कोई मेडिकल चैकअप हुआ है, न ही कोई अल्ट्रासाउंड और न ही एचआईवी टेस्ट. हैरान करने वाली बात यह है कि महिला पहले भी दो बार मां बन चुकी है. और महिला का आज तक किसी तरह के मेडिकल टेस्ट नहीं हुए हैं. ताजा मामला कोटापाब पंचायत से जुड़ा हुआ है. जहां 108 एंबुलेंस में मां ने बच्चे को जन्म दिया है.
जच्चा-बच्चा दोनों को अस्पताल पहुंचाया
बुधवार सुबह 11:48 बजे महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होते ही 108 को फोन किया गया. जिसके बाद ईएमटी विक्रम व ड्राइवर मौके पर पहुंचे. एंबुलेंस में दोपहर 3:25 बजे सत्या देवी पत्नी कुलदीप सिंह गांव हरलोग (कोटापाब) की सफल प्रसव करवाया गया. इसके बाद जच्चा-बच्चा दोनों को शिलाई अस्पताल पहुंचाकर दाखिल करवाया गया.
गर्भवती महिलाओं की ट्रैकिंग की जाती है
विभागीय नियमों की मानें तो सरकार की योजनाओं के तहत गर्भवती महिलाओं की ट्रैकिंग की जाती है. साथ ही स्वास्थ्य संस्थानों में डिलीवरी होने की स्थिति में नकद राशि का प्रावधान तो है ही, वापसी में एंबुलेंस भी निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है. नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवाने के लिए आशा वर्कर्स को प्रोत्साहन राशि का प्रावधान होता है, लेकिन दुर्गम इलाकों में आज भी महिलाएं इस सुविधाओं से वंचित हैं. स्वास्थ्य विभाग की लोगों तक योजनाएं न पहुंचने की पोल खुल रही है.
अस्पताल कर रही है जांच की बात
इस मामले में भी प्रसूति आसान नहीं थी. इसकी बड़ी वजह यही थी कि महिला के पास स्वास्थ्य जांच से संबंधित कोई भी रिपोर्ट नहीं थी. प्रसूति के दौरान पता चला कि गर्भ में बच्चे की गर्दन पर नस लिपटी है. बहरहाल 108 एंबूलेंस कर्मियों के प्रयास से महिला की गोद में स्वस्थ बेटे की किलकारी गूंजी है. उधर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय शर्मा ने कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो सख्त कदम उठाए जाएंगे. हाल ही में ददाहू में भी इसी तरह का मामला सामने आया था. इस पर भी विभाग ने जांच करवाने पर पाया था कि गर्भावस्था के दौरान महिला शिमला में रह रही थी, जहां उसकी कोई जांच नहीं हुई.