बिलासपुर. प्राइमरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद बच्चों को आगे के पढ़ाई करने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है. साई खारसी पंचायत में करीब 46 साल पहले यानि 1971 में खोले गए दो प्राथमिक स्कूल सोहरा और व्यूंस आज भी उसी दर्जे पर हैं, जैसे शुरुआत में था. यानि इतना लंबा समय बीत जाने के बाद इन स्कूलों में कोई बदलाव हुआ है.
कई सरकारें आईं और कई गई, लेकिन यहां पढ़ने वाले छात्रों को कोई सुविधा नहीं मिल पाई. गौर रहे कि इस स्कूल में साथ लगते पांच गांवों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं और दोनों स्कूलों में लगभग 35 के करीब बच्चे हैं.
बच्चों को जगल से गुजर कर जाना पड़ता है स्कूल
प्राथमिक तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद बच्चों को रानीकोटला या सोलधा स्कूल जाना पड़ता है जो कि लगभग रानीकोटला से 4 किलोमीटर दूर है और सोलधा 4 किलोमीटर दूर पड़ता है. रानीकोटला या सोलधा स्कूल जाने के लिए बच्चों को 3 किलोमीटर जंगल के रास्ते से जाना पड़ता है, जिससे बच्चों के अभिवावकों में डर सा लगा रहता है.
बहरहाल, गांव के लोगों का कहना है कि अगर इन्हीं दो स्कूलों का दर्जा बढ़ा दिया जाए, तो बच्चों का सुबह सवेरे जोखिम भरे रास्ते से जाना नहीं होगा और उन्हें घरद्वार ही शिक्षा हासिल हो जाएगी. लोगों ने कई बार सरकार को भी इस बारे अवगत करवाया है, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे लोगों में काफी निराशा है.
राजनीति दल भी लोगों को झूठे आश्वासन देते हैं
सोहरा व्यूंस, ल्यूंगडी कनेता, कोटलू, बाण, ल्यूंगडी ब्राहम्णा गांव की आबादी लगभग 550 के आसपास है. इन सभी गांव के बच्चे सोहरा व्यूंस स्कूल में पढ़ने के लिए जाते हैं. ग्रामीणों राज कुमार, रोशन लाल, नन्द लाल, प्रेम लाल, सुंदर लाल, हीरा लाल, चुनीलाल, जगरनाथ, राकेश, श्याम लाल, राम पाल, सुखराम, विद्या देवी, निशा, नीलू कांता, सहरदा देवी, सत्या देवी, उमा देवी, कमलेश, लश्करी राम, रामपाल और निक्कू राम आदि ने बताया कि 46 वर्ष बीत जाने पर भी आज तक गांव के यह दोनों स्कूल अपग्रेड नहीं हुए हैं. राजनीति दल भी लोगों को झूठे आश्वासन देते आ रहे हैं. लोगों ने सरकार से गुहार लगाई है कि गांव के दोनों स्कूलों को तुरंत अपग्रेड किया जाए.