अर्की(सोलन). लोगों को घर द्वार तक पानी मुहैया करवाने के लिए आईपीएच विभाग द्वारा कई योजनाओं को गति प्रदान की गई है, लेकिन अभी भी लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. ऐसा ही आलम अर्की क्षेत्र की गंभर खड्ड से उठाऊ पेयजल योजना का है. इस योजना का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने 2012 में किया था.
करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाली इस उठाऊ पेयजल योजना से अर्की क्षेत्र के करीब 250 गांव के लोगों की प्यास बुझनी थी, लेकिन साढ़े पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी यह योजना अभी भी सुचारू रूप से नहीं चल पाई है. इसके लिए सरकार के साथ लोगों द्वारा लगाई गई आपत्ति भी इसका कारण है. इस योजना को 6 जोनों में बांटा गया है, जिसमें से केवल कुनिहार में ही इस योजना का फायदा लोगों को मिल रहा है. इस योजना के कछुआ चाल से चलने के कारण लोगों को कई दिनों बाद पानी मिल रहा है, जिसके चलते लोगों को प्राकृतिक जल स्त्रोत या सड़क किनारे बने हैंडपंप से पानी लाना पड़ रहा है.
धूमल सरकार ने किया था शिलान्यास
उठाऊ पेयजल योजना का शिलान्यास 29 जून 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था. इस योजना का काम अवॉर्ड करने में एक साल का समय लगा जबकि यह काम दो साल के बजाय तीन साल में पूरा हो जाना चाहिए था.
यह योजना छह जोनों में विभाजित
इस योजना को 6 जोनों में विभाजित किया गया है. योजना के तहत अर्की, कुनिहार, डूमैहर, बलेरा, दाड़लाघाट व कश्लोग में बांटा गया है. इस योजना के तहत पानी गंभर खड्ड से विभाग द्वारा पहले से ही निर्मित पानी के टैंको में डाला जाना है.
28.80 करोड़ रुपये की लागत से बन रही गंभर पेयजल योजना
वर्ष 2029 की परिस्थितियों व आबादी को देखते हुए इस योजना पर 28.80 करोड़ रुपये की अनुमानित राशि खर्च होनी है. 38 हज़ार लोगों को पानी मुहैया करवाने के लिए और जहां पर पानी की किल्लत रहती है या जहां प्राकृतिक जल स्त्रोत लुप्त होने की कगार पर है उनके लिए यह योजना शुरू की गई है.
विभाग के अधिकारी का क्या कहना है
इस संदर्भ में अर्की सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिशाषी अभियंता जोगिंद्र सिंह चौहान का कहना है कि लोगों की कई आपत्तियों के कारण पाईप लाईन बिछाने में देरी हुई है. मुख्यालय में पाईप लाईन बिछा दी गयी है और टेस्टिंग का कार्य भी लगभग पूरा को चुका है, जल्द ही इस योजना को चला दिया जाएगा.