नई दिल्ली. आम आदमी के रोजमर्रा के जीवन में नदियों, बंदरगाहों और नौवहन (शिपिंग) के महत्व पर विशेष ध्यान देने के लिए भारत सरकार ने अपनी तरह की अनूठी पहल की है. “भारत प्रवाह” नाम से शुरू की गई इस पहल का मकसद साहित्य, संवाद और संचार के माध्यम से आम जनमानस को जलमार्गों से जोड़ना है. केंद्रीय जहाजरानी, बंदरगाह और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोणोवाल ने बुधवार को “भारत प्रवाह- भारत अपने तटों के साथ” की शुरुआत की.
इस पहल की शुरुआत करते हुए श्री सर्बानंद सोणोवाल ने कहा, “ऐसे समय जब हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी दुनिया को एक नई राह दिखा रहे हैं, नौवहन, बंदरगाहों और जलमार्गों के महत्व को आम लोगों के मन में लाने के लिए इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस, पॉलिसीज एंड पॉलिटिक्स (IGPP) की पहल प्रशंसनीय है. यह इस उद्योग से संबंधित मुद्दों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करेगा.” उन्होंने याद दिलाया कि नदियां और समुद्र हमारे आध्यात्मिक जीवन का केंद्र हैं. उनके घाटों पर हम आरती करते हैं. नदियों में पवित्र डुबकी लगाकर हर त्योहार मनाया जाता है और जीवन-मृत्यु की सभी रस्में पूरी की जाती हैं. आधुनिक समय में आने-जाने के कई तरह के साधन विकसित हुए हैं. इनकी वजह से नदियां और समुद्र हमारे रोजाना के जीवन से दूर होते चले गए मालूम होते हैं.
उन्होंने कहा, “अब हम नदी तट और नदियों की सफाई की चिंता नहीं करते हैं क्योंकि अब हम नल के पानी के इस्तेमाल के आदी हो गए हैं. नदियों को लेकर जश्न मनाने वाले गीत, बाढ़ आने पर दुख व्यक्त करने और नाविकों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करना अब हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा नहीं रह गया है. ये परंपराएं अब नदी किनारे और समुद्र तटों पर बसे समुदायों तक ही सीमित रह गई हैं.”
ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि तटीय इलाकों से दूर रहने वाले लोगों को भी नदियों और समुद्रों के महत्व की याद दिलाई जाए. यह हमारे सामाजिक मानस और ‘जनमानस’ का हिस्सा बनना चाहिए. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार द्वारा की गई इस पहल पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए.
श्री सर्बानंद सोणोवाल ने कहा, “सरकार ने ‘सागरमाला’ कार्यक्रम के तहत बंदरगाह की अगुवाई वाले विकास प्राप्त करने और आम लोगों को भारत की सफलता की कहानी से जोड़ने का लक्ष्य रखा है.” इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल, केंद्रीय जहाजरानी, बंदरगाह और जलमार्ग मंत्रालय के पूर्व सचिव श्री गोपाल कृष्ण, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री संजय सेठी ने भी हिस्सा लिया.
इनके अलावा नेशनल हेरिटेज मैरीटाइम कॉम्प्लेक्स के महानिदेशक प्रो. वसंत शिंदे, अडानी पोर्ट्स के सीईओ श्री सुब्रत त्रिपाठी, जेएम बक्सी के श्री ध्रुव कोटक, मैरीटाइम शीईओ की सीईओ सुश्री संजम साही गुप्ता एवं अन्य गणमान्य लोगों ने कार्यक्रम में शिरकत की.
“भारत प्रवाह” का आयोजन ऐसे समय में किया जा रहा है जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इसके साथ ही देश के जलमार्गों, बंदरगाहों और नौवहन के आर्थिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व पर ध्यान दिया जा रहा है. रोजमर्रा के जीवन में इसके योगदान और इससे जुड़ी विभिन्न बारीकियों को समझना भी महत्वपूर्ण है जिससे हम वर्तमान में या तो अनजान हैं या इन्हें नजरअंदाज कर दिया गया है.
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संवाद, सम्मेलन और पुरस्कार कार्यक्रम होंगे
केंद्रीय जहाजरानी, बंदरगाह और जलमार्ग मंत्रालय के सहयोग से आईजीपीपी द्वारा अगले कुछ महीनों में इससे संबंधित क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संवादों, सम्मेलनों और पुरस्कार कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी. जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोग, जैसे विद्वान, शिक्षाविद, नीति निर्धारक इनमें हिस्सा लेंगे. नदियों और समुद्र केंद्रित विकास जैसे विषयों पर ये कार्यक्रम केंद्रित होंगे.
मुंबई, कोलकाता, गुवाहाटी, विशाखापट्टनम, वाराणसी, कालीकट में होंगे कार्यक्रम
इनमें ऐतिहासिक नजरिये के माध्यम से, लोक संस्कृति और साहित्य में समुद्र, नदियां, बंदरगाह और जहाज, भारतीय संस्कृति में उनका प्रतिनिधित्व, भारत के विकास में नौवहन और बंदरगाहों की भूमिका, बंदरगाहों के निजीकरण की राजनीति और अर्थव्यवस्था, अंतर्देशीय जलमार्ग: विकास की धमनियां, उनकी भूमिका और महत्व, ग्रीनिंग पोर्ट्स और शिपिंग उद्योग, बंदरगाहों और नौवहन उद्योग का भविष्य- प्रबंधन, चुनौतियां और नीतियां जैसे विषय शामिल होंगे. ये कार्यक्रम मुंबई, कोलकाता, गुवाहाटी, विशाखापट्टनम, वाराणसी, कालीकट और अन्य जलमार्गों, बंदरगाहों और शिपिंग के प्रमुख केंद्रों पर आयोजित किए जाएंगे. यह पश्चिम में द्वारिका से पूर्व में गुवाहाटी तक, उत्तर में वाराणसी से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम तक पूरे भारत को कवर करेगा.
IGPP के बारे में
इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस, पॉलिसीज एंड पॉलिटिक्स (IGPP) विवेक मंथन फाउंडेशन (VMF) की एक थिंक टैंक पहल है जो सार्वजनिक नीतियों के मुद्दों पर गहन शोध और विश्लेषण करती है. यह गुणात्मक और मात्रात्मक प्रक्रियाओं के जरिये नीतियों की सिफारिश से जुड़े मुद्दों के व्यावहारिक समाधान प्रस्तावित करने के लिए नीति निर्माण, कार्यान्वयन और मूल्यांकन संबंधी रिसर्च सहयोग और विश्लेषण प्रदान करती है.