कुल्लू : हिमाचल में पर्यटन की अपार संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए तथा पर्यावरण व पर्यटन के बीच संतुलन बनाने के उददेश्य से राज्य सरकार सतत पर्यटन नीति लागू की गई है. इससे प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं, शहरों का सौंदर्यकरण, ऐतिहासिक और धार्मिक भवनों का जीर्णोद्धार और पार्किंग स्थलों का निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है. शुक्रवार को आयोजित पर्यटन नगरी मनाली के मिडोज रिजाॅर्ट मनाली के सभागार में पीएचडी चैंबर आॅफ काॅमर्स और इंडस्ट्री और मनाली होटल एसोसिएशन संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित उर्जा दक्षता एवं सतत पर्यटन की एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने यह जानकारी दी.
कुल्लू के उपायुक्त ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा वन विभाग के माध्यम से इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उचित कदम उठाए गए है ताकि पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यावरण को भी पूर्ण संरक्षण मिल सके. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने वाले निवेशकों को वन और पर्यटन विभाग की ओर से विशेष सुविधाएं प्रदान की जा रही है. उपायुक्त ने पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों से अपील की कि है क्षेत्र में पधारने वाले पर्यटकों को लोक संस्कृति, परंपरा और रीति-रिवाज, वेशभूषा और स्थानीय व्यंजनों से अवगत करवाएं जिससे पर्यटकों को घर जैसा वातावरण मिले
इस अवसर पर एसडीएम मनाली एचआर बेरवा ने कहा कि समाज के प्रत्येक नागरिक का दायित्व है. वे स्वच्छता के प्रति जागरूक रहे और विशेष कर पर्यटकों को स्वच्छता के बारे में जागरूक करें। एसडीएम ने होटल संघ से अपील की है कि वे पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करे ताकि अधिक से अधिक पर्यटक इस क्षेत्र में आएं।
इससे पहले पीएचडी चैंबर आॅफ काॅमर्स की क्षेत्रीय निदेशिका मधु पिल्लई ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य उर्जा दक्षता के प्रति आम लोगों को शिक्षित और जागरूक करना है साथ में होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों को सतत पर्यटन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के बारे में अवगत करवाना भी है. इस कार्यशाला में विभिन्न संस्थाओं के लगभग 150 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस मौके पर सहायक आबकारी एवं कराधान आयुक्त कुल्लू रमेश शर्मा ने होटल संघ व अन्य काराबोरियों को जीएसटी की विस्तृत जानकारी दी.