जयपुर: पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट मंगलवार को अपने समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ जयपुर के शहीद स्मारक पर दिनभर अनशन करेंगे. पायलट ने वसुंधरा राजे के सीएम रहते हुए घोटालों पर कार्रवाई नहीं होने को मुद्दा बनाकर अनशन की घोषणा की है. पायलट अपने अनशन में समर्थक मंत्रियों और विधायकों को साथ नहीं रखेंगे. मंत्री और विधायकों को साथ रखने की जगह आम समर्थकों को साथ रखेंगे.
पायलट के अनशन में शामिल होने के लिए प्रदेशभर से उनके समर्थक जयपुर पहुंचेंगे. पायलट समर्थक नेताओं और विधायकों ने कल ही समर्थकों को जयपुर पहुंचने का मैसेज दे दिया था.
प्रभारी रंधावा कल जयपुर पहुंचकर पायलट प्रकरण में फीडबैक लेंगे
सचिन पायलट के अनशन की घोषणा के बाद से कांगेस की अंदरूनी सियासत फिर गर्मा गई है. प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा पायलट मामले में डैमेज कंट्रोल के लिए मंगलवार दोपहर जयपुर पहुंच रहे हैं. रंधावा सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से बैठक करके इस मामले में डैमेज कंट्रोल की कोशिश करेंगे.

बच्ची का फोटो वायरल
ट्विटर पर आई उस बच्ची की तस्वीर में उसके हाथ में स्लेट है, जिसमे लिखा गया है “11 अप्रैल को जयपुर में होने वाले अनशन में अधिक से अधिक संख्या में लोग पधारें. भालू बच्चा. इसी तरीके कई बार पोस्टर और वीडियो सामने आ रहे हैं.”
गहलोत समर्थक बोले- कांग्रेस का नुकसान कर रहे
सचिन पायलट के अनशन पर बैठने की घोषणा के बाद अब गहलोत समर्थकों ने भी पलटवार शुरू कर दिया है. गहलोत समर्थक बंजर भूमि विकास बोर्ड के अध्यक्ष संदीप चौधरी ने ट्वीट करके पायलट पर निशाना साधा है. संदीप चौधरी ने लिखा- घर की बात घर में होनी चाहिए, सड़क पर नहीं. सचिन पायलट को शिकायत है तो प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा या अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बात करनी चाहिए. ऐसा ना करके वो कांग्रेस का नुकसान कर रहे हैं.
पायलट ने कल कहा था- वसुंधरा से मिलीभगत के आरोप लगते हैं
सचिन पायलट ने कल प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि मैंने मुख्यमंत्री गहलोत को पूर्व CM वसुंधरा राजे के समय हुए घोटालों पर कार्रवाई को लेकर दो बार चिट्ठी लिखी, लेकिन गहलोत ने कोई एक्शन नहीं लिया. वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं की गई. जबकि विपक्ष में रहते हुए हमने यह वादा किया था कि जांच कराई जाएगी.
मंत्री-विधायकों को दूर रखने के पीछे रणनीति
सचिन पायलट ने समर्थक मंत्री और विधायकों को रणनीति के तहत अनशन से दूर रखने का फैसला किया है. इसमें दो तरह के नुकसान थे. इससे गहलोत और पायलट के समर्थक विधायकों की तुलना होती. दूसरा, इसे बगावत से जोड़कर देखा जाता. इस वजह से पायलट ने आम समर्थकों के साथ अनशन करने की रणनीति अपनाई है.