नई दिल्ली. सिनेमा घरों में राष्ट्रगान को लेकर चल रहा मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. सोमवार को आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक नया मोड़ ले लिया है. सुप्रींम कोर्ट ने कहा कि देशभक्ति को साबित करने के लिए सिनेमा घरों में राष्ट्रगान के समय खड़े होना जरूरी नहीं है.
तकरीबन एक साल से चल रहा यह मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है.कोर्ट ने केंद्र को साफ कर दिया है कि हर काम कोर्ट पर नहीं थोपा जा सकता है,यह फैसला केंद्र खुद ले तो बेहतर होगा.
कोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति सिनेमा में राष्ट्रगान बजते समय खड़ा नहीं होता है तो उसे कम देश भक्त नहीं कहेंगे.
इसके साथ न्यायालय ने केंद्र सरकार को कहा कि देश के सभी सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन करने पर विचार करे. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा इस मामले में केंद्र अपने पिछले फैसले को बिना प्रभावित किये इसमें बदलाव लाये.
मालूम हो, 2016 में देशभक्ति और राष्ट्रभावना लोगों में पैदा करने के लिये देश भर के सिनेमा घरों में फिल्म देखने से पहले राष्ट्रगान बजने और उस पर सभी का खड़े होने को अनिवार्य कर दिया गया था.