नई दिल्ली. आजादी के बाद यह पहला मौका है जब स्वतंत्र भारत के शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठ न्यायाधीश को प्रेस वार्ता कर अपनी बात कहनी पड़ रही है. शुक्रवार को जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रेस वार्ता कर अपने शीर्ष अदालत की अनियमितता पर सवाल खड़े किये हैं.
जस्टिस चेलमेंश्वर ने कहा कि करीब दो महीने पहले हम चार जजों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा और मुलाकात की. हमने उनसे बताया कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सही नहीं है. प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है. यह मामला एक केस के असाइनमेंट को लेकर था.
अपने प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि एक केस को लेकर चार वरिष्ठ जस्टिस की टीम ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा और उनसे मुलाकात भी कि लेकिन वह अपनी बात को समझाने में असक्षम रहे. इसीलिए उन्होंने प्रेस वार्ता कर अपनी बात को जनता के समक्ष रखने का फैसला किया.
कड़क फैसलों के लिये 14 महीने शेष हैं
जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि यह एक केस के असाइनमेंट को लेकर था. यह पूछे जाने पर कि क्या यह सीबीआई जज जस्टिस लोया की संदिग्ध मौत से जुड़ा मामला है, कुरियन ने कहा, ‘हां’. इस बीच सीजेआई को लिखा पत्र जज मीडिया को देने वाले हैं, जिससे पूरा मामला स्पष्ट हो सकेगा कि किस मामले को लेकर उनके चीफ जस्टिस से मतभेद हैं.
जस्टिस चेलामेश्वरने ने दुखी होकर कहा कि ये अच्छी बात नहीं है कि हमे प्रेस वार्ता बुलाकर सबके सामने ये बात रखनी पड़ रही है, लेकिन कुछ विगत दिनों में ऐसी घटनाएँ हुई है जो नहीं होने चाहिए.
आमतौर पर जस्टिस मीडिया से दूर रहते है अगर कुछ बात मीडिया को कहनी है तो वो मुख्य न्यायाधीश ही मीडिया को सम्बोधित करते हैं.