शिमला. कर्मचारियों को भी पेंशन दो वरना विधायकों की भी बंद करो. एक नेता शपथ लेते ही जब पेंशन का हकदार बन जाता है तो कई सालों तक सरकारी नौकर बनकर सेवा देने वाले कर्मचारियों को पेंशन क्यों नहीं? हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर आवाज उठाई है.
प्रदेश के कर्मचारियों ने चुनाव से पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जिस मर्जी सरकार बने. जो पुरानी पेंशन की बहाली करेगी कर्मचारी उसे अपना समर्थन देंगे. नई सरकार से कर्मचारियों की सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि पुरानी पद्धति पर कर्मचारियों को पेंशन मिले. ऐसे में जब हिमाचल में कर्मचारी वर्ग सरकार बनाने व गिराने में अहम भूमिका रखता है, तो नई सरकार इनकी उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाती है यह देखना होगा. प्रदेश में नियमित, अनुबंध, आउटसोर्स आदि विभिन्न श्रेणी के सात लाख से अधिक कर्मचारी है. जिनमें से साढ़े तीन लाख नियमित कर्मचारियों की संख्या है.
हिमाचल में भाजपा की सरकार बहुमत से बनने के साथ ही कर्मचारियों की अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष एसएस जोगटा का कहना है कि कांग्रेस ने जो दावे अपने घोषणा पत्र में किए है. यदि अपने कार्यकाल में कर लेती तो इस बार बहुमत से जीतती. कांग्रेस के घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन की बहाली, अनुबंध कार्यकाल दो साल जैसी घोषणाएं थीं. कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री की कोई कमी नहीं रही मगर स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर कौल सिंह इत्यादि ने कर्मचारियों से जुड़े कई मसलों पर मुहर नहीं लगने दी. अब जब भाजपा सत्ता में आ गई है तो वह पुरानी पेंशन की बहाली करें अन्यथा विधायकों की पेंशन भी बंद करें.
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के महासचिव गोपाल शर्मा का कहना है कि जनता के मत का सम्मान है. कांग्रेस सरकार ने कर्मचारी हित्त में बहुत से काम किए. शायद कोई ही कमी रह गई हो. हां यह जरूर है कि अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष एसएस जोगटा की कार्यप्रणाली सही नहीं रही, जिसके चलते कर्मचारी हित में कई कार्य नहीं हो पाए.
हिमाचल अनुबंध अध्यापक संघ के पूर्व महासचिव राजेश वर्मा का कहना है कि कर्मचारियों के हितों पर ध्यान देना चाहिए. पिछली सरकार ने जिस तरह कर्मचारी वर्ग विशेष कर अनुबंध से नियमित हुए कर्मचारियों को नजरअंदाज किया उसी का परिणाम है कि भाजपा की सत्ता वापसी हुई.