कुल्लू. लाहौल-स्पीति में जोरदार बर्फबारी हो रही है. अब 6 महीनों तक कहीं भी आना-जाना बहुत मुश्किल होगा. हर रास्ता बर्फ की चादर से ढक जाएगा. अब प्रश्न यह उठता है कि लाहौल-स्पीति के लोग 6 महीनों तक भला करते क्या हैं? इस क्षेत्र के लोग अपने घरों में पूरे 6 महीनें का राशन, आग जलाने के लिए लकड़ी, माचिस तेल वगैरह सब इकट्ठा कर लेते हैं. अपने घरों के अंदर बंद हो जाते हैं क्योंकि बाहर जानलेवा ठंड होती है, कहीं जाना खतरनाक हो सकता है.
ऊन कातती महिलाएं
इन 6 महीनों में कुछ लोग निचले इलाकों में रहने चले जाते हैं वहीं जो लोग बच जाते हैं वह ऊन कातने का कार्य करते हैं. लाहौल स्पीति के लोगों का प्रमुख व्यवसाय भेड़-बकरियों को पालना है. महिलाएं इन 6 महीनों में ऊन कातती हैं. इसके साथ ही वह ऊन से कई प्रकार के वस्त्र तैयार करती हैं. जिससे न सिर्फ परिवार सर्दियों से बचता है बल्कि ऊन और ऊन से बने वस्त्रों को बाद में बाजार में बेचा जाता है. जिससे परिवारों को थोड़ी-बहुत आय भी हो जाती है.
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तमाम परेशानियों के बावजूद मुस्कुराते लोग
लाहौल स्पीति के लोगों को अपने भेड़ों से बहुत कुछ मिल जाता है. दूध, मांस और ऊन, जिनसे उनका काम चलता रहता है. भेड़ से उन्हें रेशा, चमड़ा, खाद एवं बाल भी प्राप्त होता है. महिलाएं और बच्चे आसानी से बहुत सारे भेड़-बकरी एक साथ पालते देखे जाते हैं. बर्फ से घिरे रहने के दौरान लाहौल-स्पीति के लोग कई तरह के आयोजन भी करते हैं. 10-15 परिवार इकट्ठा होकर पारंपरिक उत्सव मनाते हैं. इन उत्सवों को करने के पीछे यह कारण होता है कि लोग यह भूल जाएं कि उन्हें कोई दिक्कत है या वह दुनिया से कट चुके हैं. इतनी भौगोलिक परेशानियों को झेलने के बाद भी यहां रहने वालों लोगों के चेहरे हमेशा खिले रहते हैं, यह बात काबिले गौर है.