धर्मशाला. हिमाचल में हमेशा से दो ही पार्टियों का कब्जा रहा है. या यूं कहें कि दो ही परिवारों का कब्जा रहा है. आजतक प्रदेश में तीसरा मोर्चा नहीं बन पाया है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सुभाष शर्मा अब आगे आए हैं. धर्मशाला में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में सुभाष ने 10 दिनों के अंदर प्रदेश में तीसरा मोर्चा बनाने की बात कही है.
सन 1994 में वीरभद्र सिंह की सरकार गिराने वाले सुभाष शर्मा ने ऐलान किया है कि वो जल्द ही हिमाचल में तीसरा मोर्चा लेकर आने वाले हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश की दोनो प्रमुख पार्टियां ने इस प्रदेश को लूटा है. यहां अराजकता की स्थिति पैदा की है.
इस बार सुभाष शर्मा कौन सा दल लेकर आएंगे यह तो अभी तय नहीं है लेकिन तीसरा मोर्चा किसी पंजीकृत दल के बैनर तले ही चुनाव लड़ेगा यह तय है. इस पार्टी में अधिकतर वह समाजसेवी शामिल होंगे जो कि आज़ाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं या ऐसा करने की सोच रहे हैं. वहीं इस पार्टी में भाजपा और कांग्रेस के उन नेताओं के होने की भी उम्मीद है जिनका टिकट कटेगा.
हिमाचल में आम आदमी पार्टी को तीसरे मोर्चे की तरह देखा जा रहा था लेकिन पंजाब में मिली हार के बाद प्रदेश में आप बिल्कुल खामोश होकर बैठ गई है. ऐसे में प्रदेश की जनता को तीसरे विकल्प के रूप में कुछ नजर नहीं आ रहा है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि दोनों दलों के अलावा कोई मैदान में नहीं होगा लेकिन इसी बीच सुभाष शर्मा ने 10 दिनों के अंदर तीसरा मोर्चा बनाने का ऐलान कर दिया है.
उन्होंने कहा प्रदेश में भ्रष्टाचार, आर्थिक दिवालियापन, बेरोजगारी आदि से प्रदेश जूझ रहा है और यह दोनों परिवार आपस में समझौता करके प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने कहा पिछले वर्षों से वीरभद्र सिंह के खिलाफ भाजपा ने अनेकों केस उठाये हैं यदि भाजपा ईमानदार होती तो केंद्र में भाजपा की सरकार होने के बावजूद आज तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि बीजेपी इसलिए इस मुद्दे पर खुल कर सामने नहीं आती क्योंक धूमल को डर है कि कहीं बदले में वीरभद्र उसकी फाइलों को न खोल दे.