कांगड़ा. हिमाचल प्रदेश में विभिन्न पारिस्थितिक क्षेत्रों में फैले वैटलैंड की व्यापक किस्में पाई जाती हैं, जो कि जैव विविधता की धरोहर के साथ-साथ स्थानीय समुदाय के लिए आजीविका का स्त्रोत भी है. कलात्मकता तथा पर्यटन की दृष्टि से भी इनका व्यापक महत्व है. यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शुक्रवार को जिला कांगड़ा के ज्वाली में राज्य स्तरीय वैटलैंड दिवस की अध्यक्षता करते हुए कही.
पर्यटक भी बनें संवेदनशील
उन्होंने लोगों से वैटलैंड के संरक्षण तथा पुनः बहाली में सक्रिय सहभागिता और सहायता देने के लिए आग्रह किया, क्योंकि इससे बाढ़ में कमी, पेयजल आपूर्ति, कूड़े के उचित प्रबन्धन तथा हरियाली वाले स्थलों और शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध करवाने में सहायता मिलेगी. वैटलैंड आजीविका का एक स्त्रोत भी है, शहरी वैटलैंड को शहर की दीर्घकालिक भावी योजना और विकास में एकीकृत करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पर्यटकों को भी सूचना, शिक्षा तथा संचार कार्यक्रमों के माध्यमों से कचरे के प्रबन्धन के बारे में भी संवदेनशील बनाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने वैटलैंड का संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों से शामिल होने की अपील की है.
विश्व वैटलैंड दिवस 2018 का अन्तर्राष्ट्रीय विषय ‘दीर्घकालिक शहरी भविष्य के लिए वैटलैंड आवश्यक’ (वैटलैण्डज फोर अ ससटेनेबल अर्बन फ्यूचर) निर्धारित किया गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वैटलैंड के तीन स्थल हैं, जिनमें कांगड़ा में पौंग बांध का रामसर वैटलैंड स्थल, सिरमौर में रेणुका तथा लाहौल-स्पीति में चंद्रताल शामिल है. भारत में कुल 26 वैटलैंड स्थल हैं.
उन्होंने कहा कि पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन केन्द्र मंत्रालय ने जिला मण्डी के रिवालसर तथा जिला चम्बा के खजियार को भी को भी संरक्षण तथा प्रबन्धन के लिए इस सूची में शामिल किया है.
उन्होंने कहा कि पौंग डैम की रामसर वैटलैंड प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य बन चुका है, जिसमें साईबेरिया, मध्य एशिया, रूस तथा तिब्बत के ट्रांस हिमालयन क्षेत्र से बहुतायत में प्रवासी पक्षी आते हैं.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्यटन की आपार सम्भावनाएं हैं तथा राज्य के जैव विविधता, वनस्पति व जीवजन्तु के संरक्षण तथा प्रोत्साहन से न केवल पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है, बल्कि वनों में रहने वाले जीवजन्तु तथा पक्षी भी इससे आकर्षित होंगे. हिमाचल प्रवासी पक्षियों के लिए गृह स्थान रहा है, जिसका प्रमाण मुरगाबी (जल पक्षी)की प्रजातियों की संख्या में बढ़ोतरी होना है.
‘मेजर वैटलैंडज ऑफ हिमाचल प्रदेश’ का विमोचन
मुख्यमंत्री ने ‘मेजर वैटलैंडज ऑफ हिमाचल प्रदेश’ नामक पुस्तिका तथा पौंग वैटलैंड के कलैण्डर का विमोचन किया. उन्होंने वैटलैण्ड पर चित्र बनाने के लिए बच्चों को भी बधाई दी.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में 1.27 लाख के मुकाबले इस वर्ष पौंग डैम वैटलैंड केवल 1.10 लाख पक्षी आए, जिसका कारण वैश्विक उष्मीकरण के चलते जलवायु परिवर्तन है तथा इसका असर भारत के सभी वैटलैंड पर पड़ा है. हालांकि वर्ष 2017-18 में पक्षियों की 93 प्रजातियों के मुकाबले वर्ष 2018 में बढ़कर 117 प्रजातियां आई हैं.
प्रवासी पक्षियों के व्यवहार का हो अध्ययन
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी पक्षियों के व्यवहारिक परिर्वतनों के अध्ययन करने की आवश्यकता है तथा उनके आश्रय स्थलों में सुधार करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नन्दा ने वैटलैंड, जंगली जीवजन्तु के आश्रय स्थलों, जलीय प्रजातियों तथा जल निकायों के संरक्षण के लिए लोगों का आह्वान किया.
मौके पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्री श्री विपिन सिंह परमार, उद्योग मंत्री श्री बिक्रम सिंह ठाकुर, विधायक श्री रवीन्द्र धीमान, श्री अर्जुन सिंह, श्रीमती रीता धीमान, सदस्य सचिव विज्ञान तथा प्रोद्यौगिकी श्री कुनाल सत्यार्थी, प्रधान मुख्य संरक्षक श्री संजीव पाण्डे तथा आर.सी. कंग मौजूद रहे.