नई दिल्ली. केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मिस्त्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्म्मेलन में कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्रवाई किसी भी क्षेत्र, इंधन स्त्रोत तक सिमित नहीं की जा सकती. उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि सभी देशों को पेरिस समझौते की मूल भावना के तहत अपनी राष्ट्रीय परिस्थिति के अनुसार कदम उठाने चाहिए.
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जलवायु परिवर्तन… किसी एक क्षेत्र तक सिमित न रहे कार्रवाई
भारत ने शनिवार को प्रस्ताव किया था कि वार्ता में जीवाश्म इंधन कम करने का भी निर्णय किया जाए. यूरोपीय संघ (ईयू) ने इस आह्वान का मंगलवार को समर्थन किया. पर्यावरण मंत्री ने कहा, शून्य उत्सर्जन तक का लम्बा सफर तय करने से हमें यह भरोसा हो गया है कि हम बदलती परिस्थितियों को देखते हुए आगे बढ़ने का रास्ता निकाल लेंगे. वहीं, ईयू के उपाध्यक्ष फ्रांस टिमेरमांस ने कहा, समूह जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन करेगा.
विकसित साथी देशों को बताना होगा कार्रवाई महत्वपूर्ण होती है, केवल वादे ही काफी नहीं
केंद्रीय मंत्री ने कहा, कॉप-27 में हमें अपने साथी विकसित देशों को एक बार फिर इस बात पर राजी करना चाहिए कि कार्रवाई महत्वपूर्ण होती है, वादे नहीं। हर कॉप बैठक में संकल्प पर संकल्प किए जाते हैं, जो जरूरी नहीं कि फायदेमंद हों. उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई के जरिये ही विकास को मापना चाहिए, जो उत्सर्जन में सीधी कमी की तरफ ले जाए और विकसित देशों को चाहिए कि वह दुनिया को ऐसा करके दिखाएं.