हिमाचल में चुनाव की घोषणा बस होने को है. इसके मद्देनज़र दोनों प्रमुख दलों का केन्द्रीय नेतृत्व प्रदेश के दौरे पर है. भाजपा के शीर्ष नेता और प्रधानमंत्री ने बिलासपुर में रैली को संबोधित करते हुए बिलासपुर के विस्थापितों को त्यागी और बलिदानी कहा था, तो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी, मंडी जिले में रैली को संबोधित करते हुए वीरभद्र को ‘फ़क़ीर’ बता गए. अब ऐसे फ़क़ीर को पाकर हिमाचल की जनता धन्य क्यों न हो जाए!
जिसके ऊपर आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा हो, जिसका पासपोर्ट कोर्ट के पास जमा हो, जो जमानत पर रिहा हों. फ़क़ीर भी ऐसा जिसके पास आय से अधिक संपत्ति हो (संतो धोखा कासू कहिये).
राहुल गाँधी ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने पूरे प्रदेश में घूम-घूमकर विकास किया है. अब इतनी तो उम्मीद की ही जा सकती है कि और कुछ तो नहीं, लेकिन वीरभद्र सिंह ने कम से कम अपनी पांच साल की ‘विकास यात्रा’ के दौरान सड़कों को तो देखा ही होगा कि वह किस हाल में हैं! …और ऐसी घुमाई किसे नहीं पसंद होगी जो घूमता जाए और उसकी संपत्ति बढ़ती जाए. फकीरी के इतिहास में ऐसी फ़कीरी बिरले ही मिलेगी.
‘हिमाचल प्रदेश हेरिटेज पॉलिसी 2017’
ऐसा नहीं है वीरभद्र सिर्फ अकेले फ़क़ीर रहना चाहते हैं बल्कि वे आजकल अपने जैसे फकीरों की चिंता भी कर रहे हैं. पिछली कैबिनेट में इसका नायाब उदाहरण देखने को मिला जब उन्होंने ‘हिमाचल प्रदेश हेरिटेज पॉलिसी 2017’ पास की. जिसमें पुराने ऐतिहासिक महलों, मकानों, स्थानों को संरक्षित करने के लिए प्रदेश सरकार उन्हें धन मुहैया कराएगी. ऐसी ही पॉलिसी पास कर वसुंधरा राजे रजवाड़ों को फायदा पहुंचा चुकीं हैं. वह खुद भी राजघराने से ताल्लुक रखती हैं.
अब वीरभद्र सिंह और राहुल गाँधी से यह पूछा जाना चाहिए कि क्या वे महल और ऐतिहासिक इमारतें प्रदेश सरकार की संपत्ति हैं? अब तक यह प्रदेश सरकार की संपत्ति क्यों नहीं है? इसका अधिग्रहण क्यों नहीं हुआ? क्या यह जनता के पैसे की लूट नहीं है कि आप इस पैसे से पर्यटन और हेरिटेज के नाम पर पुराने जमींदारों और रईसों के महलों और इमारतों का जीर्णोद्धार कर रहे हैं? उन्हें पिछले दरवाजे से पैसा दे रहे हैं.
ज्ञात हो कि वीरभद्र रामपुर बुशहर के राजा थे, माफ़ करें फ़क़ीर थे. ऐसा राहुल गाँधी ने कहा है कि “लोग उन्हें राजा बुलाते हैं लेकिन वह तो फ़क़ीर हैं.” कुछ ईमारतें तो वीरभद्र सिंह की भी होंगी जिसका जीर्णोद्धार होगा.
वीरभद्र सिंह इतने पर ही नहीं रुके सितम्बर की कैबिनेट बैठक में आजकल जो आधुनिक फ़क़ीर पैदा हुए हैं उन विधायकों को 30 बीघा से अधिक जमीन कौड़ियों के दाम हाऊसिंग सोसाईटी के लिए दे दी गयी. ध्यान रहे कि हिमाचल के अस्सी फीसदी विधायक करोड़पति हैं. जबकि पूरे प्रदेश में कहीं अस्पताल के लिए, कहीं विद्यालय के लिए, कहीं बस स्टैंड के लिए, कहीं पार्किंग के लिए जमीनें नहीं हैं. भूमिहीनों, गृहहीनों और विस्थापितों की बात ही कौन करे! वह तो त्यागी और बलिदानी ही हैं.
फिलहाल आजकल फकीरों का दौर हैं.