सिरमौर(राजगढ़). ‘बेटी है अनमोल’ नारे को राजगढ़ की बेटियों ने पूरी तरह चरितार्थ कर दिया है. इस क्षेत्र की तीन बेटियां एक एमबीबीएस और दो बेटियां लॉ डाक्टर बन चुकी हैं. इतना ही नहीं उन्होंने हमारे समाज में व्याप्त इस धारणा को भी गलत सिद्ध कर दिया है कि सरकारी स्कूलों में पढ़े बच्चे, उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते. जी हां ये सभी बेटियां सरकारी स्कूलों से ही नहीं बल्कि ग्रामीण स्कूलों में ही पढ़कर डॉक्टर बनी हैं.
किसान की बेटियां बनी डॉक्टर
क्षेत्र की प्रथम महिला एमबीबीएस डाक्टर बनने का श्रेय रतोली गांव की डॉ. चितवन पुत्री रामनाथ को जाता है जिन्होंने प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल पबियाना से प्राप्त की थी. हालांकि परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं था वह शिमला में एमबीबीएस करने के बाद ये बालूगंज अस्पताल में सेवारत हैं.

दूसरे स्थान पर एमबीबीएस डॉ संध्या पुत्री सत्यानंद हैं जो खड़ैल नाम के गांव से संबंधित हैं और थैना बसोतरी के दूर दराज स्कूल से पांचवी कक्षा पास की थी. ये भी किसान की ही बेटी हैं. डॉ संध्या रामपुर अस्पताल में सेवाएं प्रदान कर रही हैं.

राजगढ़ क्षेत्र की तीसरी बेटी का नाम डॉ मनीशा ये कोटी पधोग गांव से संबंधित हैं और ग्रामीण स्कूल से ही शिक्षा ग्रहण की है. आजकल ये दादाहू अस्पताल में डाक्टर के पद पर कार्यकर रही हैं. ये दोनों बेटियां नेरी गांव के दो किसान भाईयों की संताने हैं.
जिनमें से एक लॉयर है साशा कंवर है.
जबकि दूसरे स्थान पर डॉ अदिति डडवाल पुत्री एसजे चैहान हैं.
प्रदेश विश्व विद्यालय शिमला और बाहरा विश्व विद्यालय में अपनी सेवाएं दे रही हैं. इसी प्रकार क्षेत्र की अन्य बेटियों की बात की जाए तो ग्रामीण सरकारी स्कूलों से पढ़ कर निकली बेटियां अन्य सरकारी एवं गैर सरकारी नौकरियों में अपनी सेवाएं दे रही हैं. इनके अलावा क्षेत्र की चार दर्जन बेटियां राष्ट्रीय स्तर पर खेल जगत में अपना एवं क्षेत्र का नाम रोशन कर चुकी हैं. जिनमें नौ बार प्रदेश वालीबॉल का प्रतिनिधित्व कर चुकी बेटी पुष्पा कुमारी हैं. तथा सात बार नेशनल खेल चुकी कुमारी मिताली का नाम आता है. ये आजकल भी सरकारी स्कूल फागू में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं.