नई दिल्ली. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के लुधियाना स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उचित भंडारण की कमी से देश में हर साल 92 हजार करोड़ रु. का खाद्य पदार्थ बर्बाद हो जाता था लेकिन अब इसपर रोक लगेगी. देश में अनाज के आधुनिक भण्डारण के लिए 100 लाख टन के स्टील साइलो बनाने की योजना पर भारतीय खाद्य निगम और राज्यों में युद्धस्तर पर काम चल रहा है. केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान यह जानकारी दी.
देश में भंडारण क्षमता के आधुनिकीकरण के उद्देश्य से उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने वर्ष 2020 तक सार्वजनिक निजी भागीदारी पद्धति में चरणबद्ध तरीके से 100 लाख टन क्षमता के स्टील साइलो के रुप में आधुनिक भंडारण सुविधा के निर्माण के लिए एक योजना बनाकर काम कर रहा है.
क्या होता है साइलो :
साइलो स्टोरेज स्टील ढांचा होता है. इसमें चार बेलनाकार बड़े टैंक होते हैं. हर टैंक की क्षमता 12500 टन होती है. इनमें बिना बोरी के अनाज लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है. एक अत्याधुनिक साइलो में रेलवे साइडिंग के जरिये बड़ी मात्रा में अनाज की लोडिंग/अनलोडिंग की जा सकती है. इससे भंडारण और परिवहन के दौरान होने वाले अनाज के नुकसान में काफी कमी आती है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 40 फीसदी अनाज खेतों से घरों तक पहुंचता ही नहीं है. कभी खेतों से मंडी के रास्ते तो कभी मंडियों में वह सड़ जाता है. ऐसे में साइलो के जरिए अब अनाज बर्बाद होने से बचेंगे.
वर्ष | साइलो आपरेटर का चयन (लाख टन में) | पूर्ण साइलो (लाख टन में) |
2016-17 | 36.25 (फेज-I) | 5.00 |
2017-18 | 29.00 (फेज-2) | 15.00 |
2018-19 | 34.75 (फेज-3) | 30.00 |
2019-20 | 50.00 | |
कुल | 100.00 | 100.00 |