नई दिल्ली. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नाम लिये बिना पूर्व वित्त मंत्रियों पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें पूर्व वित्तमंंत्री बनकर स्तंभकार बनने का सौभाग्य नहीं मिला है. वहीं, यशवंत सिन्हा ने अपने बेटे की योग्यता पर सवाल उठाये हैं और तंज के जवाब में कहा कि अगर वे नौकरी चाहते तो अरुण जेटली जहां हैं वहां वे नहीं होते.
गौरतलब हो कि पूर्व वित्तमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंंत सिन्हा ने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखकर भारतीय ‘अर्थव्यवस्था में मंदी के लिए अरुण जेटली को जिम्मेदार ठहराया था’.
पुस्तक लोकार्पण के एक कार्यक्रम में इशारों-इशारोंं में जेटली ने पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के साथ ही यूपीए सरकार में वित्तमंंत्री रह चुके पी चिदंबरम पर तंज कसे. यशवंत सिंह की उम्र का हवाला देते हुये जेटली ने कहा कि वे पीछे-पीछे चलकर नौकरी ढूंढ रहे हैं. वे वित्तमंत्री के रूप में अपना रिकार्ड भूल गये हैं. अपने बयान में जेटली ने यूपीए के शासनकाल में ‘नीतिगत शिथिलता’ का आरोप लगाया. उन्होंने सिन्हा के कार्यकाल के दौरान ‘एनपीए’ का जिक्र किया. विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वे(यशवंत सिन्हा) नीतियों के बजाय व्यक्ति पर आरोप लगा रहे हैं.
यशवंत सिन्हा के बयान ने विपक्षी पार्टियों की आलोचना को एक नई धार दे दी है. वहीं, भाजपा के सांसद और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने यशवंत का समर्थन किया है. पूरी खबर पढ़ें, यशवंत को शत्रु का समर्थन, बेटे का वार
वहीं, यशवंत सिन्हा ने विभिन्न टीवी चैनलों में कहा है कि उन्हें मोदी से मिलने का वक्त नहींं मिला इसलिये वे मीडिया में अपनी बात को रखने को मजबूर हुये हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बात सरकार को ‘सुनना’ चाहिये.
उन्होंने यह भी कहा है कि 40 महीने बीतने के बाद केन्द्र सरकार को पिछली सरकार पर आरोप नहीं लगानी चाहिये.
यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा के द्वारा केन्द्र सरकार के बचाव में लिखे लेख के जवाब में सिन्हा ने कहा है कि अगर मेरी चिंताओं को दूर करने में जयंत इतने ही सक्षम थे तो उन्हें वित्त मंत्रालय से हटाकर दूसरा मंत्रालय क्योंं दिया गया?
जयंत ने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिख कर जवाब देने की कोशिश की थी. अब उनका सफाई आया है कि वे किसी के कहने पर यह लेख नहींं लिखा है.
वहीं सिन्हा ने ‘नौकरी मांगने’ के जेटली के तंज का जवाब देते हुये कहा है कि अगर मैं नौकरी मांगता तो अरुण जेटली वहां नहीं होते जहां वे हैंं. उन्होंने कहा, ” सरकार स्थिति को समझने में पूरी तरह असफल है. असली चिंता यह है कि वह समस्या को समझने के बजाय खुद की तारीफ करने और अपनी ही पीठ थपथपाने में जुटी है.”