शिमला. जिला परिषद से अच्छा तो मैं प्रधान ही था. पावर भी थी, जनसेवा भी कर पाते थे. जिला परिषद रहते हुए तो न फंड मिले न ही पता लग पाया कि क्या करना है क्या नहीं. हालांकि सरकार ने जिला परिषद सदस्यों को हर प्रकार का प्रशिक्षण दिया है पर प्राथमिकता हमेशा विधायकों के कार्यो को ही मिली.
पंचायत टाइम्स से बातचीत के दौरान शिमला जिला के आनंदपुर वार्ड के जिला परिषद ने कहा कि दो सालों में अपने क्षेत्र में काम नहीं कर पाया, जिस तरह से होने चाहिए था. एक-एक सिंचाई व उठाउ पेजयल की स्कीम मिली थी जो भी सिरे नहीं चढ़ पाई.
मदन मोहन के बारे में बताएं तो बडे़च पंचायत से संबध रखते है, जिला परिषद से पहले इस पंचायत में उप प्रधान का जिम्मा संभाल चुके हैं. वर्तमान विधानसभा चुनाव में कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र से विधायक पद के निर्दलीय प्रत्याशी है.
पेश है उनसे बातचीत के अंश………
अब तक के कार्यकाल में अधिकारियों का कितना सहयोग रहा?
जिला परिषद की बैठक में निदेशक स्तर से लेकर अन्य अधिकारी भले ही मौजूद रहते है. मगर आज तक कोई अधिकारी संतोशजनक उतर नहीं दे पाया.
ऐसा कौनसा का काम जिसके न होने का आपको मलाल ?
कोटी रेंज आर नाइन में अवैध कटान का मामला कई बार मुख्यमंत्री व वन मंत्री से उठाया, पर आज तक एक जंगल के रास्ते एक बैरियर नहीं लगा. इस रेंज में लकड़ी की तस्करी होती है कई बार लकड़ी चोर पकड़े भी गए. हमारे पेड़ जो धरोहर है खत्म होती जा रही थी तो सरकार के ध्यान में मामला लाया. जिस पर कुछ नहीं हुआ. हमरे बैरियर लगाने की मांग की थी, जनहित का यह कार्य भी नहीं हुआ.
कार्यो में किस प्रकार की रूकावट?
मेरे वार्ड में 14 पंचायतें है, जिनमें से 7 कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र और 7 शिमला ग्रामीण के तहत आती है. शिमला ग्रामीण की बात करें तो यहां कार्य हुए. कसुम्पटी में कोई विकास कार्य नहीं हो पाए.
पंचायतों के लिए कौन सा कार्य करवाना चाहते है?
कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले जुनगा क्षेत्र में एक पोलटेक्निक कॉलेज खोलना चाहते है. जिससे कम से कम 25 पंचायतें लाभान्वित होगी। इस पर भी मुख्यमंत्री ने हामी नहीं भरी. मेरा मकसद इस कार्य को करवाना है. साथ ही गौसदन का निर्माण, पेयजल की बेहतर सुविधा देना भी प्राथमिकता पर कार्य करवाएं जाएंगे.
आपके नजरिये से पंचायतीराज मंत्री का कार्यकाल कैसा रहा?
पंचायतीराज मंत्री ने हमेषा पक्षपात किया. मंत्री के अपने गृह क्षेत्र में संबंधित जिला परिषद से उनकी गुटबाजी हमेशा योजनाओं को सिरे चढ़ाने में रूकावटें पैदा करती रही. कई बार उनसे विभिन्न मसलों पर प्रतिनिधिमंडल मिले लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. सरकार ने दस-दस लाख रूपये का फंड दिया है मगर उसको खर्च करने की इतनी औपचारिकताएं हैं कि वहीं पूरी नहीं होती.
आपका विजन?
मैं किसान परिवार से हूं और ग्रामीण लोग कृषि पर ही अधिक निर्भर है. आवारा पशु जंगली जानवर फसल को तबाह कर देते है. बची हुई फसल को बाजार में भाव अच्छे नहीं मिलते. बिचैलिये के माध्यम से किसानों की पैदावार की बिक्री बंद होनी चाहिए. सोसायटी के माध्यम से ही किसानों की पैदावार बाजार में बिके, इस पर कार्य किया जाएगा.
आप कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव में उतर गए ऐसी क्या वजह रही?
मैं पिछले 25 सालों से कांग्रेस विचारधारा का हूं. कसुम्पटी विधनासभा क्षेत्र से टिकट के लिए आवेदन किया था, जब हाइकमान ने भरोसा नहीं जताया तो मुझे बगावत करनी पड़ी. हां यह जरूर है कि अनिरूद्ध सिंह सशक्त प्रत्याशी है. मुझे करीब पंद्रह सौ तक वोट आवश्यक पड़ेंगे. इस विधनासभा क्षेत्र की बात करें तो गरीबों के हालात बहुत बूरे हैं. राजधानी से सटी पंचायतों में लोग अभी भी दो किलो मीटर पैदल चलकर पानी लाते है. कई जगह बिजली तक नहीं है.