नई दिल्ली: विश्व बैंक ने मंगलवार को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2024 में खपत में नरमी के कारण भारत की जीडीपी कम होकर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है. बता दें कि पहले देश की जीडीपी 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था. विश्व बैंक ने अपने इंडिया डेवलपमेंट अपडेट में कहा है कि खपत में धीमी वृद्धि और चुनौतीपूर्ण बाहरी परिस्थितियों के कारण विकास दर के बाधित होने की आशंका है.
कर्ज महंगा होने और आय में धीमी वृद्धि से प्रभावित हो सकती है जीडीपी
रिपोर्ट में कहा गया है, “कर्ज महंगा होने और आय में धीमी वृद्धि से निजी उपभोग की वृद्धि पर असर पड़ेगा. वहीं, महामारी से संबंधित राजकोषीय समर्थन उपायों को वापस लेने के कारण सरकारी खपत में भी धीमी वृद्धि का अनुमान है.”
महंगाई से मिलेगी राहत
वहीं, विश्व बैंक की रिपोर्ट में महंगाई को 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वित्त वर्ष में 6.6 प्रतिशत थी, लेकिन इस वित्त वर्ष महंगाई कम होगी. बैंक ने रिपोर्ट में 5.2 फीसदी रिपोर्ट होने की संभावना जताई गई है.
अमेरिका और यूरोप के बाजार में जारी उथल-पुथल ने भारतीय बाजार के लिए जोखिम पैदा किया
विश्व बैंक के अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा के अनुसार अमेरिका और यूरोप के वित्तीय बाजारों में हालिया उथल-पुथल ने भारत सहित उभरते बाजारों में अल्पकालिक निवेश के प्रवाह के लिए जोखिम पैदा किया है. विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों के अनुसार भारत का सेवा निर्यात अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था.
इस वजह से कम होने का अनुमान
दरअसल, मौजूदा दौर में भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. हालांकि, वैश्विक मंदी का असर भारत पर भी पड़ सकता है. अनुमान जताया जा रहा है कि यूरोप और अमेरिका के वित्तीय क्षेत्र में आए भूचाल से भारत भी अछूता नहीं रहेगा. इसीलिए विश्व बैंक ने जीड़ीपी कम होने का अनुमान जताया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेवा क्षेत्र का निर्यात अब केवल आईटी सेवाओं से संचालित नहीं किया जा रहा है, बल्कि परामर्श और अनुसंधान और विकास जैसे अधिक आकर्षक प्रस्तावों से भी ये सचालित हो रहे हैं.