नई दिल्ली. देश में दंगे फैलाने और सार्वजनिक स्थानों पर हमले कराने की साजिश के आरोप में जयपुर की अदालत ने लश्कर-ए-तैयबा के 8 आतंकियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने इसके साथ ही सभी दोषियों पर दो-दो लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. बता दें कि मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद ही लश्कर-ए-तैयबा का सह संस्थापक है.
2010 में हुई थी गिरफ्तारी
वर्ष-2010 अक्टूबर में राजस्थान पुलिस ने खुफिया इनपुट के आधार पर पांच लोगों को पकड़ा. इनकी निशानदेही पर तीन पाकिस्तानी नागरिकों की भी गिरफ्तारी की गई. इनके नाम शकरुल्लाह, मोहम्मद इकबाल और असगर हैं. पांच भारतीयों के नाम निशाचंद, पवन पुरी, अरुण जैन, काबिल और अब्दुल मजीद हैं. मामले की आगे की जांच एटीएस ने की और कॉल डीटेल के आधार पर सभी के लश्कर-ए-तैयबा से कनेक्शन पाए.

देश में तैयार करना था नेटवर्क
जांच के बाद कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में एटीएस ने बताया कि सभी आरोपियों की लश्कर के आला कमांडरों से बातचीत होती रहती थी. इन्हें देश के विभिन्न स्थानों पर नेटवर्क तैयार करना था. इनके जरिए बड़े शहरों में हमले कराने और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की साजिश तैयार की जा रही थी.
सात साल चली सुनवाई के 4 दिसंबर को ही सजा का ऐलान होना था. हालांकि बचाव पक्ष के वकीलों ने आर्थिक स्थिति के आधार पर दोषियों के प्रति रियायत बरतने की अपील की थी. जयपुर एडीजे कोर्ट ने फैसला दो दिन टाल दिया था. बुधवार को आए फैसले में राष्ट्रद्रोह और अन्य धाराओं के तहत आठों आरोपियों को आजीवन कारावास के साथ दो-दो लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई.