नई दिल्ली. जब प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था कि आज से 1,000 के और 500 के नोट मान्य नहीं रहेंगे तब कई लोगों को लगा था कि यह कदम भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी. तब अनुमान लगाया गया था कि देश में कई लाख करोड़ का कालाधन वापस बैंक में नहीं आ पाएगा.
आरबीआई के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग 99 प्रतिशत पैसा वापस बैंकों में जमा हो गया है. केवल 16 हजार करोड़ ही बैंकिंग व्यवस्था में नहीं आ पाया.
नोटबंदी के 8 महीने बाद पता चला है कि ज्यादातर नोट तो वापस जमा हो गए.
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की सालाना रिपोर्ट में दिए आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी से पहले 1000 रुपये के 633 करोड़ नोट थे, जिसमें से नोटबंदी के बाद 98.6 फीसदी नोट वापस जमा हो गए. 1000 रुपये के सिर्फ़ 8 करोड़ 90 लाख नोट जमा नहीं हुए, यानी 8900 करोड़ रुपये वापस नहीं लौटे. आरबीआई ने 500 रुपये के पुराने नोट पर कोई आंकड़ा नहीं दिया है.
विपक्ष ने नोटबंदी के फेल होने पर मोदी सरकार की आलोचना
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी से रिज़र्व बैंक को 16 हज़ार करोड़ रुपये मिले, लेकिन नए नोट छापने में 21 हज़ार करोड़ रुपये लग गए. सरकार के अर्थशास्त्रियों को तो नोबल अवॉर्ड मिलना चाहिए. वहीं. राहुल गांधी ने कहा कि नोटबंदी की वजह से कई लोगों की जान गई और आर्थिक नुकसान भी हुआ. ऐसे में क्या प्रधानमंत्री अब इसकी जिम्मेदारी लेंगे. नोटबंदी के बाद आरबीआइ द्वारा जारी आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए सीताराम येचुरी ने कहा कि इस देश विरोधी काम के लिए हमेशा वर्तमान सरकार को याद किया जाएगा.
जेटली की सफाई
जेटली ने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य सिर्फ काला धन को बैंक में वापस पहुंचने से रोकना नहीं था. इसका उद्देश्य कैशलेस सुविधा को लाना भी था. उन्होने कहा कि नोटबंदी से आतंकवादियों के पैसे जब्त हुए हैं. साथ ही इसका उद्देश्य नकली नोट को बाजार से अलग करना भी था. जेटली ने कहा कि जमा पैसों की जांच की जा रही है. लाखों लोगों को जमा पैसों के लिए नोटिस गया है.